मुझे मंजूर नहीं #हवाबदलीसीहै #हरबंस #जनाब #harbans


अगर ऊपर वाले तू भी धरती की तरह कमजोर हैं, तो तेरी कायनात मुझे मंजूर नहीं

अखिलेश, अगर तुम चाहते हो, की में सवाल ना पूछु और बह जाऊ हमदर्दी मैं, तो ये षडयंत्र मुझे मंजूर नहीं,

मोदी जी अगर राजनीति ही हैं ज़रिया उत्तर को उत्तम करने का, तो ये समाज सेवा मुझे मंजूर नहीं,

माया जी, नाम मैं भी माया हैं तो सेवा के सर्वोच्च कर्म मैं भी होगी, बहन बन कर जनता भाई को ना पूछे, ऐसी काया मुझे मंजूर नहीं,

युवराज जी, कब तक नकली मुखौटा पैह्नोगे, जो अपनी सच्चाई को ना समझे और ना मान दे, ऐसा राजा मुझे मंजूर नहीं.

कई पीली रंग की पगड़ी पहने के, भगत सिंह का धोखा देते हैं, पर शहादत से को-शो दूर रहते हैं, ऐसे देश भगत मुझे मंजूर नही,

गुलाम भारत मैं, आजाद भगत सिंह फांसी चढ़ गया, लेकिन मुझे समाजवाद, पूँजीवाद, मनुवाद से आजाद करने के लिये, वोह फिर पैदा ना हो, ये मुझे मंजूर नहीं.

राजनीति के चलते धरती पे लकीर खींच गयी, आजाद होकर भी एक कैद हो गयी, एक सीमा के भीतर ही मेरा जीवन परवाह हो ये मुझे मंजूर नहीं.

देश मर रहा हैं डेंगू, चिकन गुनिया और बर्ड फ्लू से, लेकिन हमारा न्यूज मीडिया टाटा की लड़ाई मैं उलझा हैं, अपने कर्तव्य से भटक जाये ऐसा माध्यम मुझे मंजूर नहीं,

देश की भूख, गरीबी और बेरोजगारी से, ज्यादा न्यूज़ मीडिया पाकिस्तान का सच दिखता है, ऐसा सच मुझे क़तई मंजूर नहीं.

हर पल कोई ना कोई सड़क दुर्घटना मैं मर जाता है, लेकिन न्यूज़ मीडिया देश की GDP ७ से ऊपर दिखता है, ऐसा विकास मुझे मंजूर नहीं,

देश के अन्दर के विद्रोह को ये नक्सलवाद और आतंकवाद केहता है, फिर भी अब तक छप्पन फिल्म का विश्लेषण अहंकार से करता हैं, अपने ही देश पे चलती गोली, ऐसा एनकाउंटर मुझे मंजूर नही.

चुनावो के समय हमारा टीवी, हमारे मत देने के अधिकार को गुमराह करता है, २००९ की CD और २०१४ मैं मोदी की रैली, चुनाव का ये नया प्रचार मुझे मंजूर नहीं,

पिता जी कहते है कनाडाचला जा, डॉलर मैं कम, क्यों इस मिटी से मुझे दूर करते ही, भारत के सिवा और कोई देश मुझे मंजूर नहीं,

हमारे घर मैं एक औरत अपने ऊपर होते ज़ुल्म पे चुप रहती है, ज्यादा वोह बलात्कार का शिकार अपनों से ही होती है, फिर भी भारत की माँके रूप मैं जय होती है, औरत की पराजय और देश की जय मुझे मंजूर नहीं,

राखी बांध कर मुझे मेरी बहन की रक्षा करनी हैं लेकिन पड़ोस की लड़की को तो मुझे ही छेडना है, समाज की ऐसी सोच मुझे मंजूर नहीं,

जहां औरत पर्दे मैं रहती है, कही कही बुरके मैं छीपी रहती है, लेकिन घर मैं देवी माँ की जय जय कार होती है, मुझे ऐसी उपासना मंजूर नही,
देश की आधी आबादी अभी भी अपना हक़ मांग रही हैं, १९९६ से महिला आरक्षण की फाइल लटक रही हैं, जहाँ कोख मैं ही बची मार दी जाये ऐसी व्यवस्था मुझे मंजूर नही.

रिश्वत दे कर हर सरकारी काम होता हैं, जनता भी केहती है, इसमें बुरा क्या हैं ? फिर मेरा देश महानये नारा मुझे मंजूर नहीं,

पुलिस FIR लिखने मैं संकोच करती है, लेकिन गुनाह होते नही रोक पाती है, ऐसी नेत्रहीन सुरक्षा मुझे मंजूर नही,

जहाँ अनाज गोदामों मैं सड़ जाता है, unicef  केहता है ५०% भारतीय बच्चा कमजोर है, फिर भी राशन की दुकान पे अनाज  कम है, मुझे ये भूख मजूर नहीं.

जब से बड़ा हुआ हु, हिन्दू मुस्लिम का झगड़ा सुनता आ रहा हु, बस जब मेरी अर्थी उठे इनकी कलह वजह हो, ये मंजूर नहीं.


इंग्लिश मैं दम है, इसमें गाली देना भारतीय एक रस्म है, हिंदी का मतलब सभ्य है, “चु**कहना यहाँ अपशब्द हैं, ये तुलना  मुझे मंजूर नहीं,

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