आखिर क्यों कपिल शर्मा के शो मैं औरतों का किरदार असल औरत नही निभा सकती ? #हवाबदलीसीहै #हरबंस #जनाब #harbans


पिछले शनिवार को हम चार दोस्त मिलकर कपिल शर्मा का कौमेडी शो देख रहे थे, मैं और मेरे दोस्त जोर जोर से टहाके मार के हस रहे थे खास कर जब बम्पर, बेगम लुंची, रिंकू देवी और संतोष के व्यंग बयान करते थे. उस हर बात पे, जिसके अर्थ कई मायनो मैं कही गयी बात से अलग होते हैं जिस तरह रिंकू देवी अपने विदेश गये हुये पति की तनहाई की बात करती हैं. लेकिन फिर ये ख्याल आया की, ये सारे पात्र जो की औरतों के हैं इन्हें असल में औरत क्यों नही निभा सकती ? सवाल बड़ा गहरा था और इसके जवाब के लिये दो तरह का मूल्यांकन जरूरी था. एक हमारे सभ्य समाज में इज्जत के माइनै औरत हैं और दूसरा जिस तरह के व्यंग इस शो में औरतों के पात्र करते हैं.

“घर की इज्जत”, अमूमन हमारे समाज में हर समुदाय मैं और हर घर मैं इज्जत का मतलब औरत ही हैं. और इसी तराने से हमारी औरत भी एक तरह से काफी मान मेहसूस करती हैं. घर की औरत की रक्षा के लिये जब भी उसे बाज़ार जाना हो या घर से अगर थोड़ी दूरी पे भी जाना हो तो एक मर्द का साथ मैं होना जरूरी हैं. ये पहरेदार घर की औरत की रक्षा के लिये होता हैं. और इसी पहरे और इज्जत के नाम पर औरत को बताया जाता हैं की उसे किस तरह से बात करनी हैं, किससे करनी हैं, क्या सुनना हैं, किस तरह के कपडे पहने हैं, घर मैं किसको आने देना हैं या नही, घर से कितनी दुरी तक वोह अकेले जा सकती हैं, स्कूल अगर घर से दूर हैं तो पड़ाई करनी हैं या नहीं, अच्छी पड़ाई के लिये कॉलेज के होस्टल में रहना हैं के नहीं, इत्यादि. और ये मार्गदर्शन औरत को उसकी तमाम जिंदगी मैं मिलता रहता हैं बचपन में माँ-बाप से, फिर भाई से, शादी के बाद पति और ससुराल वालों से और तो और जिंदगी के आखिर पड़ाव में बेटा और पोता भी बताता हैं की “दादी तुम अकेले मत जाना में साथ में चलूगा.”. इस रक्षा और मार्गदर्शन के पीछे समाज की बुराईया बताई जाती हैं और औरत को इस बात का भरोसा दिया जाता हैं की वोह घर की इज्जत और सर्वोपरि हैं.

अब अगर हम कपिल शर्मा के शो में होते व्यंग को देखे जिन्हें औरत के पात्र में मर्द करते हैं. जैसे की एक सीन मैं बम्पर कहती है “की उसे एक साइंसटिस्ट से प्यार हो गया था, लेकिन वोह साइंसटीसट उसे साली बना कर चला गया, क्योंकि उसने बम्पर की बहन को जो माँ बना दिया था”. (Ref. Kapil Sharma Show with Harshwardhan Kapur) दूसरे सीन मैं शो का होस्ट बम्पर की अंडर वियर का मजाक बनाता हैं. “इसकी अंडरवीअर मैं एक पूरा इंसान समा सकता हैं.” (Ref. Kapil Sharama Show with Yuvraj Singh) वही, लुंची बेगम, एक दिलफेंक औरत हैं जो हर किसी मैं अपना आंशिक ढूढ़ती  हैं. रिंकू देवी जो की शादी शुदा हैं लेकिन अभी भी दूसरे मदों से आख चार करना चाहती है. संतोष, जो की एक मोटी सी दिखने वाली औरत हैं और उसके मोटा-पे के कारण उसकी शादी नहीं हो पा रही हैं. और यही व्यंग की वजह बन जाता हैं.

अगर आप एक बार कल्पना करे की ये सारे पात्र असल औरतों ने ही निभाने हैं तो क्या आप इस तरह के लाइव शो के सार्वजनिक व्यंग पे हस पायेगे. शायद नहीं लेकिन क्यों ? हमारा सभ्य समाज, औरत को देवी बना सकता हैं, घर की इज्जत बना सकता हैं और इसी इज्जत के कारण क़तल भी कर सकता हैं , लेकिन उस पर हास्य की रूप रेखा मैं उसका मजाक बनता नहीं देख सकता. शायद यही कारण हैं  द कपिल शर्मा कौमेडी शो का , जिसमें औरतों का किरदार मर्दों ने निभाया हैं. क्योंकि लोग तब तक नहीं हस सकते जब तक उनका अहंकार संतोष नहीं होता है लेकिन जब सच को सामने रखा जाता हैं तब तब समाज विद्रोह का मार्ग अपनाता हैं और हो भी क्यों ना उसकी सदियों से चलती आ रही परंपरा को जो चुनौती दी गयी हैं. यही वजह हैं के इन सब किरदारों को निभा रहा पात्र शो के बीच बीच में कही ना कही इशारा कर देता हैं की ये औरत का पात्र एक मर्द निभा रहा हैं.

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