१९६२ की इंडिया और चीन के युद्ध मैं, भारत को हार का सामना करना पड़ा था लेकिन इससे सबक सिखते हुये भारत ने अपनी रक्षा प्रणाली को युद्ध स्तर पर विकसित किया, इसी का प्रमाण था की १९६५ मैं और १९७१ के युद्ध मैं पाकिस्तान को भारत के हाथों भारी नुकसान उठाना पड़ा था. इसी दम के बलबूते चीन ने कभी भारत की तरफ पलट कर नही देखा. भारत की आजादी के बाद से १९८४ तक भारत मैं लोगो द्वारा चुनी हुई लोकतांत्रिक सरकार थी, अगर इमरजेंसी को छोड़ दे तो ऐसी कोई भी घटना नही हुई थी इस अंतराल मैं जो भारत के लोकतंतर को अस्वीकार्य होती.
अब हम हरमंदिर साहिब (गोल्डन टेम्पल) की भौगोलिक स्थती को देखे तो ये अमृतसर शहर के बीचो बीच हैं, आम नजर से देखे तो हरमिंदर साहिब (गोल्डन टेम्पल) के पूरे भवन समूह के यहाँ ग़ोर करने वाली बात हैं की हरमिंदर साहिब (गोल्डन टेम्पल) का बहुताय भवन समूह जल के सरोवर (अमृत सरोवर) स्वरूप मैं हैं, यानी की बाकी बचे भवन समूह के अन्दर अगर १-१ इंच पे एक इंसान को खड़ा कर दे तभी १०-१२ हजार से ज्यादा लोगो का समावेश नही हो सकता. पंजाब राज्य में सीखो की आबादी बहुताय गावो में हैं और हिन्दुओ की बहुताय शहरों मैं हैं, अगर आज जी दृष्टि से पंजाब के चुने हुये मैंबर ऑफ़ पार्लामैंट पे नजर डाले तो १२ मैं से ३ हिन्दू हैं. डॉ. धरम वीर गांधी, विनोद खन्ना और विजय संपला.
हरमिंदर साहिब (गोल्डन टेम्पल) पाकिस्तान के बॉर्डर से लगभग २८-३० किलोमीटर की दूरी पे हैं, हमारे बॉर्डर पे पहले बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स तानायत रहती हैं और उसके बाद ५ किलोमीटर के अंतराल पे भारतीय सेना. उसी तरह पाकिस्तान की तरफ से बॉर्डर पे रंगेर्स तानायात रहते हैं और फिर ५ किलोमीटर के अंतराल पे पाकिस्तानी सेना. पंजाब मैं कई जगह आर्मी बेस हैं उसी तरह एयरफोर्स स्टेशन भी हैं.
जब भी, ब्लू स्टार का जिक्र आता हैं तब ये दलील दी जाती हैं उस दौरान मैं पंजाब भारत से अलग होने की साजिश कर रहा था और पंजाब की मदद के लिये पाकिस्तान तैयार बैठा था, पाकिस्तान की टैंक तैयार खड़े थे. अब मैं ये सवाल पूछता हु क्या ये मुमकिन हैं की मूठी भर हथियार बंद लोग जो की हरमिंदर साहिब (गोल्डन टेम्पल) मैं उस समय मौजूद थे वोह भारतीय सेना के साथ दो हाथ कर सकते थे ? इस बात की पुष्टि इस बात से हो जाती हैं, की ब्लू स्टार ऑपरेशन रात के कुछ ही घंटों मैं ख़तम हो गया था. क्या भारतीय सरकार पूरी तरह से घेरा बंदी करके, कुछ ही दिनों मैं उन सभी हथियार बंद लोगो को सरेंडर करने पर मजबूर नही कर सकती थी. जिस तरह १९८६ मैं ऑपरेशन ब्लैक थंडर मैं किया गया था. भारत का कोई नागरीक रास्ता भटक सकता हैं लेकिन सरकार की जनता के प्रति जवाबदेही बनती हैं.
लेकिन एक सिख होने के नाते इसके बाद का समय और भी भयानक था, १९८८ मैं जब मैं कक्षा ६ मैं था तब भरी क्लास मैं हिंदी की टीचर ने कहा था “गोल्डन टेम्पल तो आंतकवादीयो का गड बन गया हैं.” मेरे पास कोई जवाब नही था इसका, उसी दौरान मेरा यानी एक सिख को नया नाम दिया गया था “पिंडा”, हम सर पे बालों का जुडा करते है खास कर बच्चो के सर पे जुड़ा कर रुमाल बांध दिया जाता हैं, इसे “पिंडा” कहा जाने लगा. १९९२ मैं जब १० की क्लास की छुटीयो मैं जब पंजाब आया था, एक बार पुलिस ने मुझे रोक लिया यानी के १४ साल के बच्चे को जिस के अभी दाढ़ी और मूँछ भी नही आयी थी और मेरी मासी ने बच्चा कहकर मुझे उस समय जवाब देही से बचाया था. असल में मेरे मासा फौज मैं सूबेदार थे और उनकी मृत्यु फौज की नौकरी के दौरान हुई थी, वोह भी चंद दिनों पहले उनके रिटायरमैंट से. इसलिये पुलिस वालों ने ज्यादा जानकारी नहीं मांगी. फिर १९९४ मैं १२ क्लास के कैमिस्ट्री के टीचर ने भरी क्लास मैं कहा था “क्या पगडा पेहन के ट्युशन आ जाते हो.” मैं कही ना कही ये सारे जख़्म भूल चूका था लेकिन आज फिर हरे हो गये.
अंत मैं आपको मेरे देश प्रेम का प्रमाण तो जरूर दूँगा, मैं अन.सी.सी. मैं फेल हो गया था नही तो मेरा अरमान फौज मैं जाने का ही था, मेरे बच्चो को भी यही कहूंगा की उन्हें फौज मैं जाना चाहिये (लेकिन दबाब नही डालूँगा.). मेरे दादा आजाद हिंद फौज मैं थे और मेरी पत्नी के दादा भी. आज भी अगर हमारे घर से कोई फौजी बनता है तो गर्व मेहसूस किया जाता है. २१ परम वीर चक्र वीजैताओ मैं से ४ सिख है और १ मुसलमान है क्या अभी आप को गैर हिन्दू की देश भक्ति का प्रमाण चाहिये ?. जय हिंद.
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