मेरी इस काल्पनिक कहानी मे आखिर क्यों पंडित जी पर भ्रष्टाचार और मिया भाई पर देश द्रोह का इल्जाम लगा ? #हवाबदलीसीहै #हरबंस #जनाब #harbans


अक्सर में अपने दोस्तों से कहता हु की अगर भारत की असली ताकत और सहनशीलता देखनी हैं तो भारतीय रेल का जनरल कोच देखा करो, अक्सर यहाँ अजनबी मिलते हैं कुछ तंग सी ही जगह में बैठ कर, मुस्कराकर , कुछ अपनी कहकर और कुछ सुनकर अपने अपने स्टेशनों पर उतर जाते हैं. कुछ इस तरह ही हुआ मेरी इस काल्पनिक कहानी में. दरअसल कुछ दिनों पहले रेलवे स्टेशन से अपने गाव जा रहा था और हर बार की तरह इस बार भी रिजर्वेशन नही मिला और ट्रेन के आने पर भगवान का नाम लेकर जर्नल कोच में चंड गया . लेकिन इस बार कुछ अजीब हुआ, मेरे सामने वाली सीट पर एक हिन्दू समाज के उच्च जाती के पंडित जी और उनके साथ बगल में, एक मियां भाई बैठे थे. दोनों ही कुछ दूरी बनाये रखना चाहते थे लेकिन मुमकिन नहीं था. फिर भी एक दूसरे को  नजर अंदाज करने की पूरी नाकामयाब कोशिश की जा रही थी. इसी बीच मैने नजरो को दूसरी तरफ दोड़ाया तो वहा चुनावी पार्टी के सदस्य बैठे थे, उसमे से एक पार्टी खुद को सर्कुलर और दूसरी कट्टर धार्मिक होने का मान बख्स रही थी. उनकी निगाहे मेरे सामने बैठे पंडित जी और मियाँ भाई पर टिक्की थी और इन्तजार कर रही थी की कुछ तंगदिली सी हो बाकी तो ये महारथी थे चुनावी माहौल बनाने में.

कुछ समय बीत गया था ट्रेन को चलते चलते लेकिन पंडित जी और मियाँ भाई मे अभी भी दुरिया बनी हुयी थी इतने में पंडित जी ने कुछ दर्द की कराह भरी और मियाँ भाई ने आखिर पूछ ही लिया “पंडित जी, स्वास्थ तो ठीक हैं ?”. लेकिन पंडित जी ने भी जवाब दिया “नहीं कुछ समय पहले चिकन ....”. पंडित जी की बात पूरी हो उस से पहले ही मियाँ भाई ने टोक दिया “पंडित जी आप चिकन कब से ? क्या राम राम करना छोड़ दिया हैं?” बस मियां भाई की इतना कहने की ही बात थी की सभी की निगाहे इन दोनों पर तन गयी खासकर राजनैतिक पार्टियों से सदस्यों की, उन्हें लग रहा था की अब मौका दूर नहीं. इसी बीच पंडित जी ने मियां भाई की इस मजाकिया ढंग को मजाक में ही लिया और कहा “ नहीं मियाँ भाई, में आज भी राम राम ही करता हु हकीकत में मुझे पिछले दिनों चिकन गुनिया हुआ था. आप ने गलत अंदाजा लगा लिया की में चिकन खाता हु.” मियाँ भाई सहज हो गये और हंसने लगे. फिर बातें चली, पंडित जी ने कहा “ में अरब कंट्री में था कुछ सालो तक वही था लेकिन कभी भी चिकन नहीं खाया. हाँ थोड़ा सा इस्लाम के बारे में जानने को मिला जो शायद मेरी पारंम्परिक सोच से बहुत ज्यादा लिबरल हैं.”. मियाँ भाई ने भी हां में हां मिलापी. फिर मियाँ भाई ने बताया की उनकी गंगा किनारे बनारस मे दुकान हैं. और उन्हें भी वही रह कर कुछ हिन्दू धर्म के बारे में जानने के बारे में मिला जो दरअसल उनकी सोच से काफी ज्यादा उदार था. ये कुछ इस तरह के हिन्दू मुसलमान थे, जिनमें नफरत नहीं थी लेकिन एक दूसरे के बारे में जानकारी भी थी और तहज़ीब भी थी. शायद इसी को भाप कर राजनैतिक पार्टी के सदस्यों ने अपनी निगाहे इन पर से हटा ली थी और किसी और शिकार की तलाश में लग गये थे.

जिस सूझ बूझ से पंडित जी और मियां भाई बात कर रहे थे, सभी इन्हें बड़ी सहज और इज्जत से देख रहे थे,  अब लोगो ने इन पर से अपनी नजरे हटा ली थी और सभी अपने अपने मुसाफिरी का मजा ले रहे थे. इतने में पंडित जी ने समाज में बड़ रहे अपराधों का जिक्र शुरू कर दिया "क्या बताये आज कल तो घर से बाहर कदम रखना मुश्किल हो गया हैं, कुछ दिनों पहले हमारे पड़ोस से एक दम्पति रात में अस्पताल क लिये निकले थे लेकिन रास्ते में ही लुटेरों ने उनका कत्ल कर दिया और पुलिस आज तक उनका पता नही लगा पायी." मियाँ भाई ने भी इस हकीकत में अपनी सहमति जताइ "क्या कहैं पंडित जी, खुदा किसी का वक्त ना बुरा करे, बाकी यहाँ तो किसी से उम्मीद भी करना बेईमानी सी लगती हैं." थोड़ा सा रुक कर मियाँ भाई ने अपनी बात आगे बड़ाई "मेरा छोटा बेटा पिछले साल कॉलेज से पास हुआ हैं लेकिन आज तक कोई नौकरी नहीं मिली. बेरोजगारी दिन बर दिन बड़ती जा रही हैं. लेकिन फिर भी खबरें तो कहती हैं कि हमारा देश विकास और तरकी कर रहा हैं." एक बाप के दुःख ने थोड़ी सी कराह भरी और फिर कहा " लगता हैं पंडित जी, ये विकास और सुरक्षा हमारे राजनेता तक ही सीमित हैं, पता नही हमारे घर कब और कितनी देर बाद पोहचैगी, आयेगी भी या नही."

दोनों के बीच एक खामोशी सी बीछ गयी, और ही भी क्यों ना कभी कभी दर्द चुप रहकर भी बहुत कुछ कह जाता है. फिर पंडित जी ने कहा कि "इस बार वोट देने से पहले नेताजी से पूछुंगा सही की मेरे पडिसियो के क़ातिल को पहले पकड़ो फिर आना वोट माँगने". ये बातें और हिन्दू मुस्लिम एकता उन राजनीतिक दलों के सदस्यों को चुभ रही थी और उन्हें एहसास हो गया था कि उनकी दाल यहाँ नही दलने वाली. बस अगले स्टेशन पर दोनों जर्नल कोच छोड़ कर एसी कोच में चले गये लेकिन इनकी ईर्षा को चोट पोहची थी तो यहाँ ताकत कमजोर को जरूर कुचलैगी. और अगले स्टेशन पर पुलिस ने पंडित जी को भ्रष्टाचार और मियाँ जी को देशद्रोह के जुर्म मैं गिरफ्तार कर लिया. इनका अंत तो पता नहीं मेरी कल्पना की सोच में क्या होगा, लेकिन आप से प्रार्थना हैं हकीकत में अपना वोट देने से पहले अपनी मूलभूत तकलीफों के हल के बारे में अपने नेता से जरूर पूछे और एक बात अपना मत , किसी धर्म और जात पात के बहकावे में आये बगैर , सही दिशा मैं देश की बेहतरी के लिये जरूर जरूर इस्तेमाल करे. जय हिंद.

नोट: अपनी कोमेंट नीचे जरुर लीखे.

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