मेरे गाँव में शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, नशा, ये आम समस्या हैं, लेकिन, इस पंजाब राज्य चुनाव से कुछ बदल जायेगा, इसकी उम्मीद कम ही दिख रही हैं.



मेरा गाँव, बुरज हमीरा, ये एक आम सा ही पंजाब का एक गाँव हैं, यहाँ एक प्राइमरी तक का स्कूल हैं, एक मैडिकल स्टोर हैं और यहाँ इस मैडिकल स्टोर की दवाइयों का जानकार ही, डॉक्टर हैं, जो हर मरीज को, हर मरज की दवाई भी देता हैं और जहाँ जरूरत लगे वहा ये मैडिकल इंजैक्शन भी लगा देता हैं, ये हालात हर गाँव के हैं यहाँ अक्सर, हर रोज, जब गुरुद्वारे से गुरबाणी की पहली आवाज आती हैं, तो गावं की सुबह प्रातः काल हो जाती हैं लेकिन इसकी शाम भी, अँधेरा होने से पहले ही होती  हैं, दरवाजे बंद कर लिये जाते हैं और अँधेरा होने के बाद, किसी को भी घर से बाहर जाने की सलाह नहीं दी जातीपंजाब के किसी भी गावँ में, घर की औरतों को, अक्सर शाम के 5 बजे तक घर वापस आने की नसीहत दी जाती हैं, सर्दियों में ये समय कुछ 3-4 बजे का हो जाता हैं. यहाँ, मैने व्यक्तिगत रूप से, पुलिस को कभी शाम में या रात को, मेरे गाँव में, कभी भी गश्त लगाते हुये नहीं देखा, हाँ ये, दिन में किसी रोड पर नाका लगाकर अक्सर खड़े देखे जाते हैं जहाँ ड्राइवर के लाइसेंस तक की ही पूछ ताछ होती हैं.

अब अगर मेरे गाँव के पास के बाजार की बात करे, जिसका नाम निहाल सिंह वाला, जिसे पंजाबी में मंडी कहा जाता हैं और इसका विस्तार कुछ सड़क के किनारे की दुकानें होगी मसलन 1-1.5 किलो मीटर जहाँ जीवन की जरूरत का सामान मिलता हैं और कुछ अस्पताल भी हैं, लेकिन डॉक्टर के पास डिग्री हैं या नहीं, इसका प्रमाण कही नहीं मिलता और ना ही कोई पूछता हैं, ये मंडी क़रीबन 39 गाँव को जोड़ती हैं, मतलब अगर आप के घर में शादी हैं तो खरीद दारी यहाँ से होगी और अगर कोई बीमार हैं तो सबसे पहले मरीज को यहाँ ही लाया जायेगा और अगर ज्यादा हालात खराब हैं तो यहाँ से डॉक्टर, मरीज को 80 किलोमीटर दूर लुधियाना भेज देता हैं. अब हैरानी की  बात ये भी हैं की निहाल सिंह वाला एक विधान सभा इलाका हैं, लेकिन यहाँ शायद ही कोई कॉलेज हो, मैडिकल या इजनिरियग कॉलेज, का तो सवाल ही नहीं उठता, यही हालात पास के विधान सभा इलाका भदौड़, रामपुरा, रायकोट, इत्यादि के हैं, हाँ या शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा जैसी मूलभूत सुविधायों की कमी हैं लेकिन शराब का ठेका हर दूसरे या तीसरे गाँव में बदस्तूर जारी हैं. और मैडिकल स्टोर हर गाँव में मौजूद हैं. हाँ, एक बात लिखना भूल गया, निहाल सिंह वाला में एक पुलिस स्टेशन भी हैं, जहाँ कर्मचारी कुछ २०-३० होंगे, अब सोचिये ये पूरे क्षेत्र में कानून व्यवस्था किस तरह बना कर रख सकते हैं ?

अब जब मेंने, मेरे गाँव की और इसके विधान सभा क्षेत्र की रूप रेखा बता दी हैं, जिससे ये अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं, की आज 69 साल की आजादी के बाद भी, पंजाब के बहुताय इलाकों मैं जीवन ज़रुरियात की सुविधायें , से आज भी एक पंजाबी नागरिक वंचित हैं. खासकर, शिक्षा, ये एक ऐसा दीप हैं जो अपने ज्ञान की रोशनी से, आस पास भी उजाला कर देता हैं, लेकिन इसकी लोह, पंजाब के, मेरे गाँव, बाकी गाँव में, बहुत मद्धम हैं. मसलन, 1987 में, गाँव के जिस सरकारी स्कूल के टीचर, अक्सर मुझ से , हमारे घरों से, चाय के लिये दूध मंगाते थे, हद तो तब हो गयी, जब हमसे, खाने के लिये एक देशी मुर्गा मंग वाया था लेकिन यहाँ, आज भी कुछ बदलाव नहीं आया, इस तरह की मांग. ये बदस्तूर आज भी जारी हैं, यहाँ, पढाई, का स्तर क्या होता होगा, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता हैं, की मुझ से, १९८७, में ५ रुपये, रिश्वत ली गयी थी, बोर्ड की एग्जाम पास के गांव दिना साहिब में, जहाँ, इन्चार्गे टीचर ने, बोर्ड पर लिखकर हमें नकल कराई थी, आज भी यहाँ पढाई, नहीं होती, मतलब, यहाँ पड़ने वाले, बच्चो का भविष्य धुंधला ही हैं.

 इसलिये गाँव के वह घर, जो आर्थिक रूप से संपन हैं, अपने बच्चो को प्राइवेट  स्कूल में पढ़ा सकते हैं , वह सरकारी स्कूल से कनी ही काटा करते हैं, लेकिन, प्राइवेट स्कूल मतलब इंग्लिश माध्यम, जहाँ आज भी टीचर इंग्लिश को पंजाबी में ही पढ़ाती हैं, इसी की वजह से मैने अपने भांजी और भांजे का ऐडमिशन यहाँ से हटाकर, निहाल सिंह वाला के, सीबीएसई स्कूल में करवा दिया, लेकिन इस स्कूल की पढ़ाई के स्तर की तुलना शहर के स्कूल की पढ़ाई से नहीं हो सकती, पर, यहाँ एक सुरक्षा भी मुद्दा हैं, मसलन मेरी भांजी, आज ११ वी कक्षा की छात्रा हैं, स्कूल की, बस, स्कूल छूटने के बाद, बच्चो को घर छोड़ देती हैं लेकिन अगर आप को, प्राइवेट ट्यूशन करना हैं, तो किस तरह एक अकेली लड़की, सफर कर सकती हैं ? कुछ, ३-४ लड़कियों का साथ होना चाहिये, लेकिन अगर ये सब साथ भी हैं, फिर भी सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं. आज, सर्दियों में दिन छोटे होने से, सुरक्षा के कारण हमने, भांजी का ट्यूशन बंद करवा दिया गया हैं. यहाँ ज्ञात रहे, की मेरे गाँव में आज भी एक ही बस, सुबह आती हैं और शाम को इसकी वापसी होती हैं, मुख्य आवा जावी का साधन, तीन टायर वाला टेम्पो ही हैं, जिस का अंतराल १ घंटे पर हैं और ये निहाल सिंह वाला से मेरे गाँव का सफर जो कुछ 7-8 किलोमीटर को तय करने में 45 मिनिट का समय लेता हैं, अब यहाँ सुरक्षा के लिहाज से, एक अकेली महिला की आवा जावी पर रोक ही लगाना बेहतर समझा जायेगा.

एक और जरूरी बात जो आज पंजाबी नागरिक के जीवन को प्रभावित कर रही हैं, उच्च शिक्षा, जिस के लिये किया लड़का और लड़की, हर किसी को शहर का रुख करना पड़ता हैं, जो नहीं करते या जिन्हें इसकी इजाजत नहीं मिल पाती, उनका आगे की शिक्षा पर यहाँ पूर्ण विराम लग जाता हैं, लेकिन जो हिम्मत करते हैं, मसलन, मेरे गाँव के लिये, उच्च शिक्षा का मतलब लुधियाना या चंडीगढ़, इसकी दूरी को देखते हुये, अक्सर छात्र को वही रहना पड़ता हैं, जिस के तहत, घर से दूर, एक होनहार विद्यार्थी के , नशे की चपेट में आने के आसार बढ़ जाते हैं, यहाँ सरकारी रिपोर्ट मानती हैं की नशा पंजाब में एक गहरी समस्या हैं लेकिन ये कहा से आता हैं, इसके बारे में सरकार कुछ कहने से अक्सर हिचकिचाती रहती हैं. लेकिन, एक पंजाबी आम नागरिक की तरह, यहाँ मेरा मानना भी हैं की पंजाब के हर गाँव में मौजूद, मैडिकल स्टोर ही इसके लिये जिम्मेदार हैं.


मेरे गाँव में शिक्षा, सुरक्षा, नशा, स्वास्थ्य, इत्यादि मूलभूत समस्या आज भी मौजूद हैं जिसके चलते, आज भी एक आम नागरिक को खासकर महिला नागरिक को हर जगह अपने जीवन में समझौता ही करना पड़ता हैं, यहाँ सवाल भी नहीं करते, बेहतरी, खुद को सम्भालने में ही हैं, अब यहाँ, चुनाव हैं जो लगातार पिछले 69 सालों से एक आम जिंदगी की बेहतरी की बात करते रहते हैं, ये कही चुनावी मुद्दा होता हैं, घोषणा पत्र में भी मौजूद हैं और चुनावी भाषण में भी, लेकिन जमीन पर कभी भी इसे ईमानदारी से लागू नहीं किया जाता, व्यक्तिगत रूप से, मुझे इन आने वाले पंजाब राज्य के चुनाव से कोई ज्यादा उम्मीद नहीं हैं, लेकिन देखते हैं चुनी हुई सरकार किस तरह एक आम जिंदगी को मूलभूत सुख सुविधा देने में कामयाब हो पाती हैं. धन्यवाद.

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