आज भाजपा एक व्यक्ति विशेष के इर्द गिर्द घूम रही हैं तो फिर ये संगठन जिसकी केंद्र में श्री नरेंद्र मोदी जी के रूप में सरकार हैं, वह कैसे हमारे देश के लोकतंत्र को जिंदा रख सकती हैं ? #हवाबदलीसीहै #हरबंस #जनाब #harbans



2014 के चुनावो में नरेंद्र मोदी जी इतना बड़ा चेहरा बन के उभर रहे थे की भारतीय जनता पार्टी इनके कही इर्द गिर्द घूमती दिख रही थी, शायद अगर सच कहूं तो इस समय भाजपा को एहसास भी नहीं होगा की वह एक व्यक्ति विशेष पार्टी बन रही हैं और इस तरह के माहौल में अक्सर तानाशाह जन्म लेते हैं. लेकिन कही ना कही ये भाजपा के उस ताने पर भी कटाक्ष जो कांग्रेस पार्टी को एक पारिवारिक पार्टी कह कर हमेशा संबोधित करती थी. 2014 के चुनावो में अक्सर एक नारा लगता था जिसे बार बार टीवी न्यूज की ऐंकर भी कहा करती थी "नमो", शुद्ध देशी हिंदी भाषा में कहु तो इसका मतलब नमन यानी के विनम्र भाव से होगा लेकिन अब इसका मतलब समझ आ रहा हैं जो था जो था "नरेंद्र मोदी".

2014 के चुनावो के दौरान जिस तरह भारतीय जनता पार्टी की भव्य चुनावी रैलियों का आयोजित किया जा रहा था, उसमे नरेंद्र मोदी जी के रूप मे एक बड़ा प्रवक्ता हिंदी भाषा के कुछ भव्य शब्द "विकास", "काला धन", "सबकी समानता", "सुरक्षा", "५६ इंच का सीना, इत्यादि को बोल रहा था और इसी तर्ज पर 2014 के चुनावो मे श्री नरेंद्र मोदी जी के रूप में भारतीय जनता पार्टी ने भारत के इतिहास में एक भव्य विजय परचम लहराया. लोकतंत्र के मंदिर लोकसभा में प्रवेश के दौरान श्री नरेंद्र मोदी जी ने इसे नमन कर अंदर प्रवेश किया और भावुकता से अपने चुने हुये संसद सभ्यो को संबोधित किया. लेकिन लोकसभा के पहले सत्र में ही श्री लालकृषण अडवाणी असहज महसूस कर रहे थे और  श्री व्यकन्या नायडू जी के कहने पर श्री मोदी जी के साथ विराजमान तो हो गये लेकिन दूसरे दिन से अपनी जगह श्री मोदी जी के बगल से हटाकर दूसरे स्थान पर विराजमान हुये. आजकल लोकसभा मे श्री मोदी के बगल वाली सीट अक्सर खाली रहती है. उसी तरह चुनावो की विजय के तुरंत बाद श्री अमित शाह जी को भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया गया. गुजरात की राजनीति में जब श्री मोदी जी यहाँ के मुख्यमंत्री हुआ करते थे तब अक्सर सार्वजनिक सभाओ में श्री शाह को श्री मोदी के पैर छुते अक्सर देखा जाता था. अब कहने की ज़रुरत नही थी की भारतीय सरकार और भाजपा पर एक व्यक्ति विशेष का अधिकार स्थापित हो चूका था.

सरकार बनने के कुछ ही समय में गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह जी से संबधित कुछ व्हाट्स एप्प मैसेज वायरल हो गये जिसमें भ्रष्टाचार की अफवाओं को वायरल किया जा रहा था. उसके पश्चात श्री सिंह को मीडिया में आकर सफाई देनी पड़ गयी लेकिन उसके बाद वह कभी भी इस तरह के तेवर में मीडिया को संबोधित करते नही देखे गये. इसी बीच श्री आडवाणी जी के साथ साथ दो और भाजपा के शीर्ष नेताओं को भाजपा की हर प्रकार की कमेटी में से हटाकर मार्ग दर्शक मंडल की रचना कर उसमे इनका समावेश कर दिया गया, और कहा गया ये नेता गर्न मार्ग दर्शक रहेंगे. लेकिन आज ये किस हासिये पर हैं ये यहाँ लिखने की जरूरत नही हैं. आज जब परिस्थिति ये हैं की श्री नरेंद्र मोदी जी के हर ट्वीट मैसेज को रिट्वीट करने में हर भाजपा सदस्य और कार्यकर्ता एक तरह से मान महसूस करता हैं. शायद भाजपा की इस समय की केंद्र सरकार में सिर्फ श्रीमती सुषमा स्वराज जी ही अपनी एक अलग छवि बनाने में कामयाब हो पाई हैं. लेकिन वह आज इलाज के अधीन अस्पताल में दाखिल हैं. और जो भाजपा नेता श्री मोदी जी का विरोध करने में कोई कोताही नही बरतते थे वह कही भी आज सुर्खियों में नहीं हैं. इनमें से ही थे श्री अरुण शोरी लेकिन सोशल मीडिया के जरिये इन पर इस तरह कीव्यक्तिगत टिप्पणियां की गई की इनके जज्बात आहत हुये बिना रह ना पाये.


इसी दौरान भारतीय मीडिया पर भी शिकंजा कसा गया, उत्तर प्रदेश जहाँ समाजवादी पार्टी की सरकार हैं वहाँ बुलंदशहर में हुये बलात्कार के अपराध को हमारी मीडिया ने प्राथमिकता से दिखाया और इसका असर भी हुआ की अपराधी कानून के शिकंजे में आगये. लेकिन ऐसी खबर भी आई की जाट आंदोलन के दौरान हरयाणा में जहां भाजपा की सरकार वहा कैथल और मरुथल के बीच में कई औरतों के साथ सामूहिक बलात्कार सड़क के किनारे खेतों में किये गये. ऐसा भी सुनने में आया की यहाँ जाँच के दौरान शराब की बोतलों के साथ साथ पीड़िताओं के अंतर्गत वस्त्र भी पाये गये लेकिन कही भी इस खबर को मीडिया ने प्राथमिकता नही दी. भारतीय संस्कृति में औरत को भी गाय कहा गया हैं लेकिन गऊ रक्षा के मामलों में बड़ी साजिदा भाजपा यहाँ कही मोन खड़ी दिखाई दी. इसी तरह श्री राहुल गांधी के ट्वीटर अकाउंट के हैक हो जाने की खबर को मीडिया ने बड़ी प्राथमिकता से दिखाया लेकिन ईनही दिनों श्री नरेंद्र मोदी की मोबाइल एप्प को भी हैक कर लिया गया था. लेकिन कही भी इस खबर को सार्वजनिक नही किया गया. अगर किसी न्यूज वेबसाइट पर ये खबर आ भी गयी थी तो उसे हटा लिया गया.


भाजपा, जो बड़ा सम्मान महसूस करती थी ये कहने में की ये एक संगठन हैं जहाँ योगिता के माप दंड पर नेता को चुना जाता हैं और ये एक पारिवारिक या व्यक्ति विशेष पार्टी नही हैं. लेकिन आज सारी भाजपा श्री नरेंद्र मोदी जी के इर्द गिर्द घूमती हुई दिख रही हैं और एक व्यक्ति विशेष पार्टी बन गयी हैं. आये दिन ये संकेत मिल रहे हैं कि भाजपा संगठन में वह सुनवाई नही रही जो पहले हुआ करती थी. शायद इस संगठन के अंदर लोकतांत्रिक सोच बची नहीं हैं और कही ना कही भाजपा को श्री नरेंद्र मोदी जी ने  एक तानाशाह के रूप में अपने अधीन कर लिया हैं. तब ये सोचना जरूरी हैं कि ये हाल का भाजपा संगठन जिसकी केंद्र में श्री नरेंद्र मोदी जी के रूप में सरकार हैं वह कैसे हमारे देश की लोकतान्त्रिक प्रणाली को जिंदा रख सकती हैं या किस रूप से इसे नुकसान पोहचा सकती हैं या पोहचा रही हैं. जो भी हो, लोकतांत्रिक देश में चुनावी दल को पहले अपने यहाँ लोकतांत्रिक प्रणाली को कायम करना चाहिये शायद तभी ये हमारे देश की लोकतांत्रिक प्रणाली को समझ सकते हैं और इसकी सेवा के साथ इसे और मजबूत करने में अपना योगदान कर सकते हैं. जय हिंद.

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