पंजाब राज्य चुनाव, शिरोमणि अकाली दल बादल के नेता बिक्रम सिंह मज्ठिया भी यहाँ एक मुद्दा हैं.



श्री राहुल गांधी, ने  अपने पंजाब राज्य के चुनाव प्रचार की शुरुआत मज्ठिया विधानसभा इलाका से, इस आगाज में की  मैने ४ साल पहले कहा था, की पंजाब का ७०% यूथ आज, नशे की चपेट में हैं लेकिन तब मेरी बात को सच मानने से मना कर दिया गया, लेकिन आज, आम आदमी पार्टी और शिरोमणि अकाली दल बादल भी यही मान रहे है, की नशा पंजाब में गंभीर समस्या बन चूका हैं.” , प्रचार की शुरुआत मज्ठिया क्षेत्र से करना और नशे के मुद्दे को गंभीरता से बोलना, कही ना कही शिरोमणि अकाली दल बादल के नेता बिक्रम सिंह मज्ठिया पर निशाना था जो इसी विधानसभा क्षेत्र से २००७ और २०१२ में चुने गये है. इससे पहले, आम आदमी पार्टी के शीर्ष नेता और देल्ही के मुख्य मंत्री, अरविंद केजरीवाल ने सार्वजनिक सभा में बिक्रम सिंह मज्ठिया को जेल भेजने का आगाज कर चुके है. लेकिन, अगर इन राजनीतिक आरोप से हट कर, एक समय खिलाडी के रूप में पंजाब पुलिस में डीएसपी की पोस्ट पर रहे, जगदीश सिंह भोला, जिन्हें नशे की तस्करी के आरोप में पंजाब पुलिस ने पकड़ा था, इसी भोला ने लिखित रूप एन्फोर्समेंटडायरेक्टरेट (इडी) को अपना स्टेटमैंट दिया हैं जिसमें बिक्रम सिंह मज्ठिया, पर ५००० करोड़ के गैर क़ानूनी नशे के कारोबार में शामिल होने का आरोप लगाया गया हैं. भोला का केस पंजाब पुलिस के पास है जिस के  करता धरता सुखबीर सिंह बादल, मज्ठिया के रिश्तेदार होने से, आज बिक्रम सिंह मज्ठिया को कोई कानून छु नहीं पा रहा लेकिन पंजाब का हर नागरिक ये भली भात जान चूका हैं की बिक्रम सिंह मज्ठिया और नशा इन दोनों का आपस में क्या रिश्ता हैं.

 कहा ये जाता हैं की सराया इंडस्ट्रीज के मालिक सत्यजित सिंह मज्ठिया के बेटे बिक्रम सिंह मज्ठिया को मंहगी गाड़ी चलाना, हवाई जहाज उड़ाना और बास्केट बॉल खेलना पसंद हैं, लेकिन २००२ में अमरिंदर सिंह की सरकार का पंजाब में आने से, बादल परिवार पर, करप्शन केस रजिस्टर हुआ और प्रकाश सिंह बादल और सुखबीर बादल को पटियाला की जेल में भेज दिया गया,  इसी समय, बिक्रम सिंह मज्ठिया जो की सुखबीर सिंह बादल की पत्नी हर सिमरत कौर के भाई हैं, वह सुखबीर सिंह बादल के साथ खड़े रहे, और हर मुमकिन कोशिश की, बादल परिवार की मदद के लिये, नतीजन, २००७ में इन्हें शिरोमणि अकाली दल बादल ने हल्का मज्ठिया से विधान सभा का टिकट दिया और इन्हें विजयी होने पर, अपनी सरकार में मंत्री की ओहदा भी दिया गया. लेकिन, इसी दोर में, प्रकाश सिंह बादल के भतीजे मनप्रीत सिंह बादल की पार्टी में और सरकार में हैसियत बड़ रही थी, जिसे कम करने के लिये, सुखबीर सिंह बादल ने २००९ में पंजाब सरकार के उप मुख्यमंत्री बने, इसी तर्ज पर बिक्रम सिंह मज्ठिया ने २००९ में पंजाब कैबिनेट से हट गये.

इनाम के तोर पर शिरोमणि यूथ अकाली दल बादल के अध्यक्ष बना दिये गये, जहां से बिक्रम सिंह मज्ठिया का विवादों से रिश्ता बन गया फिर चाहे लुधियाना में कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा सफ़ेद चींटारावण जलाने का मसला हो  या लुधियाना में ही किसीपुलिस ऑफिसर पर हमला हो  हर जगह, यूथ अकाली दल बादल के सदस्यों की मौजूदगी थी. हद तब पार हो गयी, जब इसी युवा अकाली दल के एक सदस्य रंजित सिंह राणा ने २०१२ में पहले एक पुलिस ऑफिसर की बेटी को छेड़ा और जब शिकायत करने पर, पिता पुलिस ऑफिसर ने अपनी बेटी की हिफाजत करने आये, तो इन्हें इस युवा दल के सदस्य राणा ने गोली मार दी , इसी बीच घायल पुलिस ऑफिसर को हॉस्पीटल ले जा रही ऐम्बुलेंस को राणा ने रोक कर, पुलिस ऑफिसर को फिर से गोली मार दी, जिस से इनकी मोत हो गयी. ये घटना निर्भया हत्याकांड के कुछ दिन पहले की हैं और इसी २०१२ की शरुआत में अकाली दल बादल ने एक बार फिर से पंजाब में विजय परचम फैहराया था. इस समय, यूथ अकाली दल बादल के सदस्यों का हौसला बहुत मजबूत था ना ही इन्हें कानून का डर था और ना ही किसी सरकार का, इनका मसीहा बस बिक्रम सिंह मज्ठिया ही था.

कहा ये भी, जाता हैं की २०१४ में नवजोत सिंह सिधु का अमृतसर से टिकट कटवाने में बिक्रम सिंह मज्ठिया का ही हाथ था, लेकिन मज्ठिया द्वारा गुरु ग्रंथ साहिब की गुरबानी को गलत उच्चारण कर के ना सिर्फ अरुण जेटली जी की हार का कारण बने बल्कि सिख धार्मिक जज्बातों को भी ठेस पोह्चाई थी. लेकिन जिस तरह अर्जुन अवार्ड विजेता, जगदीश सिंह भोला ने लिखित रूप से बिक्रम सिंह मज्ठिया पर नशे के कारो बार में शामिल होने का आरोप लगाया है, उस से विपक्षी दल लगातार बिक्रम सिंह मज्ठिया के खिलाफ कार्य वाही की मांग कर रहे है लेकिन बादल परिवार की सरपरस्ती में बिक्रम सिंह मज्ठिया के दामन को कोई छू भी नहीं पा रहा हैं.


अब, आये दिन यूथ अकाली दल बादल के सदस्यों की खबर किसी ना किसी अखबार में लगी होती हैं और बिक्रम सिंह मज्ठिया की मौजूदगी से इन्हें किसी भी कानून का आज डर नहीं रहा, फिर वह चाहे बस अड्डा पर सवारी भरना हो या अपनी ताकत की नुमाइश करनी हो, ये यूथ दल अक्सर आगे की पायदान पर रहता हैं, लेकिन, जनता इस घुटन को या इस गुंडा गर्दी को कब तक सहन करती हैं, ये देखना होगा. कुछ भी हो, बिक्रम सिंह मज्ठिया आज एक चुनावी मुद्दा हैं यहाँ राहुल गांधी इशारे में इन पर आरोप लगाते हैं और अरविंद केजेरिवाल सार्वजनिक सभा में, लेकिन जनता क्या राय रखती हैं इसका इजहार तो चुनावी परिणाम ही करेंगे. इंतजार कीजिये, ०४-मार्च-२०१७ का. धन्यवाद.

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