सोशल मीडिया ट्रोल, कमेंट करने वाला यूजर असली हैं या फेंक ? चेक किया ? #हवाबदलीसीहै #हरबंस #जनाब #harbans


आज नवजात के जन्म लेते ही, उसकी तस्वीर परिवार के किसी नजदीकी रिश्तेदार या दोस्त द्वारा, अगले ५ मिनट में सोशल मीडिया पर अपलोड कर दी जाती हैं और दूर बैठे सारे रिश्तेदार और दोस्तों के बधाई संदेश मिलने शुरू हो जाते हैं. और उन सब संदेशो को पड़ते हुये नवजात के माता-पिता एक सुखद एहसास भी कर रहे होते हैं और दबी ज़ुबान में ही सही, सोशल मीडिया का धन्यवाद भी कर रहे होते हैं की इसके जरिये, कुछ ही पल में हम हमारी खुसिया सभी से साँझा कर सकते हैं. इस मानसिकता के अनुसार सोशल मीडिया एक बेहतरीन माध्यम हैं. लेकिन इसका एक और पहलू भी हैं. आज जब सोशल मीडिया के पेज पर जाते हैं तो कई तस्वीर, संदेश, या इन्ही संदेशो में हो रही बहस और इसी बहस में उलझ कर, इसी बहस की एक रुख को अपनाते हुये, एक आम इंसान या यूजर भी इस पर अपना कमेंट कर देता हैं. लेकिन कोई भी इस जगह दिलचस्पी नही ले रहा की ये बहस कहा से शुरू हुई हैं और ये किस तरह की मानसिकता को जन्म दे रही हैं, सबसे महत्वपूर्ण की इस बहस को जन्म देनेवाली मानसिकता का उद्देश क्या हैं ? अवलोकन करना जरूरी हैं.

सोशल मीडिया, यहाँ इसी रुपरेखा में आप किसी भी सोशल मीडिया की साईट पर चले जाये आप को लॉग इन करने के लिये एक इमेल आईडी की जरूरत हैं जो पहले सोशल मीडिया की साईट पर पंजीकृत ना हो. तो ईमेल आई डी कैसे बनाये ? एक आम और ईमानदार यूजर के लिये सारे फ्री ईमेल साइट्स पर ये बनाई जा सकती हैं जिस तरह जीमेल, याहू, इत्यादि. लेकिन अगर एक इंसान को या यूजर को एक से ज्यादा अमूमन कुछ हजार या लाख ईमेल आईडी बनानी हो तो क्या ? तो एक साईट या डोमेन को पहले बनाया जायेगा जिस तरह harbansgushtakh.com, साईट पंजीकृत आज बड़ी कम लागत में हो जाता हैं. आप गूगल कीजिये, कई आप्शन आपको मिल जायेगे कुछ तो पूरे साल का बस कुछ हजार रुपये में इसे पंजीकृत कर देते हैं. अब इस साईट या डोमेन पर ईमेल आईडी बनाने के लिये आपको एक ईमेल सरवर चाहिये, कई सारी कंपनियां आपको साईट / डोमेन के साथ साथ ईमेल सरवर भी मुहिया करवा देती हैं बस कुछ लागत बड़ जाती हैं. इसी के तहत आप को एक ऐसा इंटरफ़ेस मिल जाता है जहा आप ईमेल आईडीस बना सकते है. अब आप इसी के जरिये कुछ हजार या लाख ईमेल आईडी बना सकते हैं जितनी लिमिट आपको आपका ईमेल सरवर देता हैं. मसलन harbans1@ harbansgushtakh.com से harbans1000000@harbansgushtakh.com . मतलब आप अब इन ईमेल आईडी के जरिये सोशल मीडिया पर लॉग इन बना सकते हैं. सोशल मीडिया की लगभग सारी साइट्स आज भी ईमेल आईडी ही क्रॉस चेक करती हैं की ये ईमेल आई डी पहले सोशल मीडिया साईट पर रजिस्टर नही होना चाहिये. यहाँ फोन नंबर ज्यादा क्रॉस चेक नही होता, आप को इसका एक उदाहरण भी दूँगा की अगर आप का व्हाट्स एप्प, जब आप इसे इनस्टॉल करते हैं ये नंबर चेक करने के लिये एक कोड नंबर sms करता हैं और उसे खुद ही पड़ कर इसे पंजीकृत कर देता हैं. लेकिन ये फोन नंबर अगर पहले किसी और यूजर का था तो क्या ? इसका अनुभव आप खुद कीजिये, इसे फिर से डिलीट कर और इनस्टॉल कीजिये , ये आप को पुरानी हिस्ट्री भी लाकर दे सकता हैं. चलिये मुद्दे से भटकते नही हैं. कहने का अर्थ यही था की सोशल मीडिया पर रजिस्टर होने की सामग्री सिर्फ और सिर्फ ईमेल आईडी ही हैं. तो जब कच्चा माल तैयार हैं तो सोशल मीडिया की फैक्ट्री में इसे आगे की रूप रेखा दी जा सकती हैं.

अब जब आप इन सारी ईमेल आईडी को अपना कर सोशल मीडिया की अलग अलग साईट पर रजिस्टर करने के उपरांत, आज  इंटरनेट के इस दोर में तस्वीर मिल जाती है तो कुछ ऐसी ही तस्वीर की रूप रेखा में कुछ यूजर को एक मर्द की तस्वीर लगाते हैं, कुछ को औरत की, बच्चे की, इसी की रुपरेखा में कुछ धार्मिक चेहरे हो सकते हैं जो भ्रम पैदा करे की वह किसी धर्म से जुड़े हुये हैं या उनकी श्रद्धा उस समुदाय या धर्म में हैं. फिर अनजान लोगो को फ्रैंड request भेज कर आप अपने मित्रों की संख्या बड़ा सकते हैं. इस तरह के फेंक आईडी की पर्सनल इनफ्रामेंशन आप सोशल साइड से हाईड कर सकते हैं ताकि कोई और यूजर आपकी पहचान ना देख पाये. फिर जब कुछ समय के बाद ये सारे फेंक सोशल मीडिया यूजर अपनी अपनी पहचान सोशल मीडिया पर बना ले. तो कोई एक पोस्ट कीजिये, इस पर बाकी के फेंक यूजर से लाइक कीजिये और कमेंट कीजिये. कमेंट दो हिस्सों में बटा हो ताकि की किसी और तीसरे यूजर को इसमें अपना मत दिखाई दे और ये भी इस पर अपना कमेंट कर दे. जितनी बार आप का पोस्ट लाइक होगा या इस पर कमेंट आयेगा उसी तरह इसकी पोजीशन सोशल मीडिया के पेज पर ऊपर आती जायेगी. मसलन आप के सारे मित्र देख पायेगे की आप इस पर अपनी राय रख रहे हैं और किसी ना किसी रूप रेखा में वह भी इस पर अपनी राय बनायेगे.


शायद कुछ इसी तरह सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग होता होगा. अमूमन इस तरह के मसले कानून की नजरो से दूर ही रहते हैं या लोग इसे साइबर लॉ के तहत अपराध ना समझ कर भूलने में ही यकीन करते हैं. अगर ये फेक आईडी पकड़ी भी जाये मुझे नही लगता की कोई अपराध की रूप रेखा में कोई सजा हो सकती हैं. में या आप सोशल मीडिया पर कई सारे यूजर बना सकते हैं, बस हमारी पोस्ट में कोई आपत्तिजनक कमेंट नही होने चाहिये, ध्यान दीजियेगा जो लोग ट्रॉल्लिंग करते हैं उनकी पोस्ट में किसी भी तरह की आपत्तिजनक शब्दावली नही होती लेकिन शब्दों को तोड़ मरोड़ कर कई अर्थ निकाले जाते हैं. तो इस पर आप को ही मुस्तैदी दिखानी होगी, जिस तरह ऐसा कोई भी पोस्ट आये तो चेक करे की कहा से आया हैं अगर हो सके तो उनकी पर्सनल इनफ्रामेंशन देखे, गूगल पर सर्च करे. उस पोस्ट पर जो कमेंट कर रहे हैं उन यूजर को भी क्रॉस चेक करे. किसी भी भ्रम से बचने ले लिये, किसी भी अनजान पोस्ट पर कमेंट करने से पहले सोचे. किसी अनजान की फ्रेंड request को स्वीकार ना करे. अपनी इनफ्रामेंशन भी प्राइवेट रखे और खास कर फोटो को तो जरूरी समान्य पब्लिक ना रखे, की कोई भी देख सके. थोड़ी सी बुद्धिमानी हमें इस तरह के ट्रोल से बचा सकती हैं. ध्यान रखिये, सोशल मीडिया पर हर चीज असली नही होती. जय हिंद.

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