कुछ लकीरो को रंग काला कर दिया. #हवाबदलीसीहै #हरबंस #जनाब #harbans


सच जब हरकत मे आता है तो कत्ल कर देता है,
सच जब बयान होता है तो दर्द के जरिये आँख से आंसू बहा देता है,
झूठ इसी भृम मे रहा की वह सच को कमजोर कर देता है,
हरबंश, इतिहास का पन्ना देख, सच कमजोर की ताकत बनकर सदिया पलट देता है. #हरबंश #हवाबदलीसीहै #सच #झूठ

कुछ और कत्ल होंगे, बस इस बार कत्ल खाना अस्पताल बन जायेगा, बड़े बड़े लोग रुखसत होंगे, खून कतरा ना गिरेगा, ना कत्ल का अंदेशा हो पायेगा, हरबंश तू क्यों शोर मचा रहा है, तमाशा देख, कौन कौन जिन्दा रह पायेगा, लास सम्मान से तीन रंगों के कफ़न मे सिमट जायेगी, कातिल वही आस पास आंसू बहाता दिख जायेगा. #हवाबदलीसीहै #राजनीती #नेता

.....................आज कल करते क्या है, कोडिंग करते है, ओह लकीर के फकीर , नहीं नहीं आप ने सुना नहीं, कोडिंग करते है, यानीकै है लकीर के फकीर, भाई, जिसका इज्जाद विदेशो मे हुआ, उसी भाषा की लाइन लिखकर, ना समझो मारा है तीर, बचपन मे भी रटै मारे थे, आज भी है रटै मार रहे, हमारी सोच मे जटिलता से दर्ज है, लकीर के फकीर #हवाबदलीसीहै #शिक्षा #सोच

…....……........कहते है, नेता 18 घंटे काम करता है, कहते है, 45 साल का नेता युवा लगता है, कहते है, भारत 7.0 जीडीपी की हैसियत से तरीकी करता है, हरबंश, कोई सुनता क्यों नही, आज भी आहे भरता, सिसकिया लेता सिर्फ भारत ही मरता है. #भारत #भारतमेरादेश #हवाबदलीसीहै #हरबंश 

......................... ऐ इमानै वतन, ऐ खुबसुरत वतन, आज क्यों हो रहा ह तू इम्तेहान ऐ वतन, सूली चड गये कई परवाने तेरी याद मे, आज क्यों वह भुला दिये ऐ वतन, तेरी शान मै कोई तिरंगे से भी पूछे, तेरी आज़ादी मे कितनी लाशे है दफन, तेरे गम नहीं देखे उन्होंने जो मुझे कहते है हरबंश कत्ल हो जायोगे, बता उन्हे आज किस दोर से गुजर रहा है तू वतन. 

.................... कुछ दुयाओ मे, कुछ लब्जो मे, कुछ दर्द मे अक्सर जिक्र होता रहेगा, बस ख़ामोशी तब पसर जायेगी जब ये सवाल वक्त से पुछा जायेगा, कोई कागज ना था जो गुम हुआ है की बस चुप चाप जल जायेगा, लेकिन हरबंश, हुक्मरान की रुसवाई ने जिसे मार दिया, अब वो जिंदा कैसे वापिस आ पायेगा. #नजीब .

….….....…....... शोर काफी है, तन्हाई मे अक्सर बिखर जाते है, भीड़ मे रहने दो, अकेले मे अक्सर, कदम मैहखानै की तरफ हो जाते है, बदनाम ही सही नाम होने दो, हरबंश, गुमनामी मे अक्सर हम देहल जाते है, तुम दूर हो, खुश हो, बहुत है, बस तुम्है गमगीन देख, हम युही मर जाते है, हम युही मर जाते है. #हवाबदलीसीहै 

..................शाम ऐ #हवाबदलीसीहै, लिंखना तो सच ही था (चुप रहो), बस कलम बईमानी से खरीद रखी है, #हवाबदलीसीहै , हा मे सांप्रदायिक हु (चुप रहो), बस इस सच्चायी को अपनी चुपी से बाँध रखी है, #हवाबदलीसीहै , समाजिक दायीतत्व है मेरा (अब बस करो), लेकिन इस पर अपनी निजी सोच को हावी कर रखी है. #हवाबदलीसीहै , भ्रम है अखबार सच लिखते है (अब सच बोलोगे), हरबंश, एडिटर बाबु नै उच्च जाती के होने की अपनी पहचान सार्वजनिक कर रखी है. #हवाबदलीसीहै 

…...…...………...आज भी जब गुजरता हु स्मशान से, आवाज सुनाई देती है, हरबंश, क्या कातिल पकड़े गये ? कहती है मुझसे, हम भारतीय, भारत मेरा देश, फिर क्यों सिर्फ हम, हमारे देश मे पराये से हो गये ? गलतफैहमी है की सिर्फ दंगो मे गिरी लाशे थी, कई जज्बात भी थे कुचले गये, कुछ मासूम थे, कुछ अलड़ थे, पर थे इसी जमीन के, जो मजहब के नाम पर थे मारे गये, जो मजहब के नाम पर थे मारे गये, #दंगे #राजनीती #हवाबदलीसीहै

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