आखिर नोटबंदी के चलते ही मनु और कविता की शादी संभव हो सकी. कैसे पड़ीये मेरी इस काल्पनिक कहानी में. #हवाबदलीसीहै #हरबंस #जनाब #harbans




मनु और कविता एक साथ स्कूल पड़े हैं और अब ये इंजीनियर कॉलेज के अपने आखिर सत्र में एक साथ पड़ रहे हैं. सच कहूं तो बचपन से एक साथ साथ खेलते हुये जवान हुये हैं, ये रिश्ता अब दोस्ती से ज्यादा एक साथ जीने मरने की रूप रेखा में तबदील हो गया हैं. इसका अंदेशा इनके दोस्तों को, मोहले वालों को, कॉलेज में और यहाँ तक इनके माँ बाप को भी हैं. लेकिन अभी तक इन्होंने अपने घर पर स्पष्ट रूप से इसके बारे में बताया नहीं हैं. दोनों के परिवार काफी मॉडर्न ख्यालातों के हैं, मनु के पापा प्रभात कुमार सरकारी अफसर हैं और कविता के पापा करियाने की दुकान करते है लेकिन कविता की माँ भी एक सरकारी टीचर हैं. मनु घर पर अकेला हैं लेकिन कविता को छोटा भाई हैं जो अभी बाहरवी कक्षा में विज्ञान प्रवाह का छात्र हैं.

कविता का परिवार एक मध्यम वर्ग की तरह था जबकि मनु का परिवार की शानो शौकत एक मायने रखती थी. इसी के चलते कविता के पिता जयेश अक्सर परेशान भी रहते थे. एक दिन एक दोस्त के जरिये थोड़ी चालाकी से मनु के पिता से बात की, किसी और लड़की का नाम लेकर लेकिन मनु के पिता रमेश की नजर तो आसमान पर थी वह दहेज मे एक गाडी और ढेर सारा सोना चाह रहे थे. इसे सुनकर जयेश के पैरों से जमीन निकल गयी, वह ये सोच कर भी मुरझा रहे थे की इससे उनकी बेटी कविता का दिल टूट जायेगा. अब जो रिश्ता परवान ही नही हो सकता उसे खत्म करने मे ही समझदारी थी, खासकर भारतीय समाज मे जहां एक बार लड़की की इज्जत पर कोई दाग लग जाये तोे हमारा समाज उसे अछूत होने का तगमा दे देता है.

अब जयेश ने अपनी पत्नी और कविता की माँ सोनाली के साथ सारी बात की और दोनों मे एक सहमति तय हुई की, कविता को अब मनु से मिलने नही दिया जाये और कविता के लिये किसी और शिक्षित युवा की हमसफ़र के रूप मे तलाश की जानी चाहिये. दूसरे दिन, जयेश ने कविता को समझाया "अब तुम बड़ी हो गयी हो, अब तुमहारा वह बचपन नही है जिसमें गुड़ा और गुड़िया बस एक खिलौना है लेकिन अब तुम बड़ी हो गयी हो और जवान हो. अब तुम मनु से इतना ज्यादा मत मिला करो की देखने वाले कुछ और अंदेशा लगाये. लड़की की समाज मे इज्जत एक कांच के बर्तन की तरह है बस एक बार हाथ से फिसला तो टुकड़े टुकड़े हो जाता है." कविता को इस बात का एहसास था कि पापा क्या कह रहे है. कविता के लिये ये लब्ज कुछ ज्यादा ही मायने रखते थे क्युकी आज तक कभी भी जयेश नै एक बाप की हैसियत से इस तरह कभी भी बात नहीं की थी. तो एक बेटी ने अपने पिता को ज्यादा अहमियत दी और मनु से मेल जोल बंद कर दिया.

मनु नै जिंदगी मे ना सोचा था की कोई ऐसा जीवन का पल जिसमें कविता का जिक्र ना हो. लेकिन अब तो कविता ने मिलने से इनकार कर दिया था. ता उम्र की दोस्ती बस कुछ पलो मे किस तरह खत्म हो सकती है ? मनु कविता के स्वभाव की मासूमियत जानता था और भी किसी भी लब्जो मे कोई संदेह नही था. लेकिन फिर वजह क्या थी ? मनु नै कविता के पापा जयेश से उनकी दुकान पर बात करने की कोशिश की लेकिन जयेश भाई नै बात करने से मना कर दिया. मनु की जिंदगी मे अब मुस्कराहट नहीं थी, ये एक उस शाम की तरह थी जिसका सूरज कभी भी अस्त हो सकता था.

कविता इसे देख ना स्की, और सारी सच्चाई मनु को बता दी. अब, मनु और कविता, दोनों ने जयेश भाई से बात करने का फैसला किया और जयेश भाई ने अंत मे सच कह ही दिया. ये सुनकर, मनु अब कविता से आँख नहीं मिला पा रहा था. ओर इसी विद्रोह से उसने अपने पापा से बात की, जिन्होंने ये कह ही दिया की मेरी एक सामाजिक प्रतिष्ठा है, मुझे दहेज मे एक कार और एक किलो सोना तो चाहिये ही. इसके बिना तुम्हारी शादी नहीं हो सकती.दरअसल मे मनु के प्रभात कुमार को भ्रष्टाचार के रूप मे एक मोटी कमाई हर महीने होती है और इसी से ये आज अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा जोड़ कर देखते है. अब मनु, कविता और जयेश भाई सब सोच रहे थे की आखिर किया क्या जाये ?

इतने मे हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र भाई मोदी जी नै ०८-११-२०१६ को नोटबंदी की घोषणा कर दी, और इसी से अब प्रभात कुमार की रातों की नींद गायब हो गयी थी, भ्रष्टाचार के रूप मे जो १००० और ५०० रुपये की नोटों को जोड़ कर रखा है वह अचानक ही रदी हो गयी थी. ये बात किसी तरह मनु को पता चल गयी. और मनु के दिमाग ने एक शरारत को जन्म दिया. मनु ने किसी तरह अपने पिता को इस बात के लिये राजी कर लिया की इन सभी नोटों को नदी मे बहा दिया जाये क्युकी अगर ये कही भी पकड़े गये तो प्रभात कुमार की सामाजिक प्रतिष्ठा को ठेस पोहच सकती हैं और उनकी नौकरी के जाने के साथ साथ वह जेल भी जा सकते है. और ये सारे नोटों को मनु ही नदी मे बहाकर आयेगा.

बस, मनु ने ये सारे नोट जो की कुल मिलाकर ५० लाख के हो रहे थे, जयेश कुमार के घर ले गया. अगले दिन, जयेश कुमार, कविता, कविता का भाई, सोनाली बहन, मनु और मनु कविता के कुल मिलाकर १५ दोस्तों ने बैंक में नये अकाउंट बनाये. सब ने २.५ लाख अपने अपने अकाउंट में जमा करवा दिये. यानी की ५० लाख को २० लोगो ने २.५ लाख मे बाट कर कुल २० अकाउंट मे इसे जमा करवा कर काले धन को सफेद मे बदल दिया. अब जयेश भाई ने प्रभात कुमार से मनु और कविता की शादी की बात की, इस बात पर भी राजी हो गये की जयेश भाई शादी पर एक मंहगी कार के साथ साथ 1 किलो सोना भी देंगे. इसके लिये जयेश भाई ने बहाना लगाया की वह अपनी बेटी की खुशी के लिये अपनी गाव की पुश्तैनी जमीन बेच देंगे. अब पूरी २० अकाउंट की गैंग ने चेक के माध्यम से, एक गाड़ी खरीदी और सोना भी खरीदा. शादी भी हुई और बारात भी आये. ढोल नगाड़े भी बजे और प्रभात कुमार की सामाजिक प्रतिष्ठा भी बड़ गयी. लेकिन मनु और कविता हमारे प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के गुण गान जरुर कर रहे थे और शायद ये बात प्रभात कुमार को चुभ भी रही थी लेकिन उन्हे अंदाजा ना था ये शादी प्रभात कुमार के पैसो से ही हो रही है जिसे उन्होने नदी मे बहाने के लिये दीये थे.


सारांश तो यही हैं की नोटबंदी एक सराहनीय फैसला हैं अब इससे कितनी और कहानिया बनती हैं ये देखने योग होगा, खासकर इस फैसले का विश्लेषण आज नही होना चाहिये. इसे कुछ समय तो देना ही होगा, और 1-२ वर्ष के बाद इतिहास की इस तारीख को फिर से पलट कर देखना होगा की इसे कितना बदलाव आया हैं. जय हिंद.

No comments:

Post a Comment