तारीख ०३-१२-२०१६, एक आम ही दिन था लेकिन शाम होते एक विडियो वायरल हो गया. पंजाब की मोड़ मंडी
में शादी के कार्यक्रम के दौरान एक गोली चली और इसका निशाना तो पता नही कहा का था, लेकिन ये स्टेज पर डांस कर रही डांसर कुलविंदर कौर के सर को छेद करती हुई निकल
गयी. और उसी समय उनकी मोत हो गयी. बाद मे उनके पति द्वारा ये भी कहा गया की वह
गर्भवती थी. पुलिस छानबीन से पता चला की लकी गोयल उर्फ बिल्ला से ये गोली चली थी.
इसके उपरांत, बिल्ला के साथ और तीन व्यक्तियों को भी गिरफ्तार किया गया
हैं. किसी भी अपराध में, दो चेहरे अक्सर हमारे सामने आते हैं अन पीड़ित
का और एक दोषी का,
इसी के अनुसार हमारा मीडिया भी सिर्फ और सिर्फ
कुलविंदर कौर और बंदूक से चली गोली की बात कर रहा हैं. लेकिन वायरल हुये विडियो
में, उस समय स्क्रीन पर पीछे एक पंजाबी गीत चल रहा था जिसमें
शराब और सामाजिक प्रतिष्ठा को गोरवंतित किया जा रहा था. इस मानसिकता पर कोई बात
नहीं कर रहा ? शायद पंजाब में बड़ रहे अपराधो की ये भी एक जटिल वजह हैं.
पंजाब में हिंसक हो रही मानसिकता को समझने के
लिये, तीन चीजों पर ध्यान देने की जरूरत हैं पंजाबी मानसिकता, जटिल हो रही सामाजिक समस्या और सभ्याचार के नाम पर परोसे जा रहे हिंसक पंजाबी
गीत. पंजाब एक खेती प्रधान राज्य हैं. तो यहाँ किसान ही सर्वोपरि हैं, जिसकी सामाजिक और राजनैतिक गलियारों तक पोहच हैं और यही एक आधार हैं पंजाब में
राज्य करने का. पंजाबी किसान जिसे जट कहा जाता हैं, इसका गोर्वंतित इतिहास
हैं. लेकिन आज किसानों की आबादी तो बड़ रही हैं लेकिन जमीन वही तक सिमटी हुई हैं.
और आज पींडी दर पींडी किसान के हिस्से में आ रही जमीन कम और कम होती जा रही हैं.
अमूमन, आज पंजाब में बहुताय किसान २-६ एकड़ जमीन तक सिमट रह गया हैं. कुछ ही ऐसे किसान
हैं जो खेती के सिवा और किसी व्यवसाय में या विदेश जाने में कामयाब हो पाये हैं.
लेकिन बहुताय किसान खेती के सिवा ओर किसी हुनर के ना होने के कारण आज सामाजिक
हासिये पर हैं. इसके चलते आये दिन अखबारों में किसान के द्वारा की गयी खुदकुशी की
खबरें आम प्रकाशित होती रहती हैं. व्यक्तिगत
रूप से ऐसे दो दुखांत मेरे ही रिश्तेदारी में हो चुके हैं. इससे अंदाजा लगाना
मुश्किल नहीं हैं की आज पंजाब का समाज किस निराशा से होकर गुजर रहा हैं.
अब अगर नयी पींडी की बात करे जिसका जन्म
इंटरनेट और मोबाइल फ़ोन आने के बाद हुआ हैं, आज वह डिजिटल माध्यम से
सारी दुनिया को अपने मोबाइल फ़ोन पर देख भी सकता हैं और इसी से विदेश में जाने का
सपना भी देखना शुरू कर देता हैं. अगर व्यक्तिगत रूप से बात करू, तो मुझे आज पंजाब के अंदर ऐसा युवा नहीं मिलता जो विदेश जाने का सपना ना
संजोये हुये हो. इस युवा पींडी के लिये खेती एक अछूत व्यवसाय हैं. और खेती से
जुड़े व्यवसाय जैसे पशु पालन, इत्यादि में भी इसकी दिलचस्पी नही रही. ये आज
पड़ रहा हैं, अच्छे स्कूल और कॉलेज में जा रहा हैं, लेकिन हाथ में डिग्री होने के बावजूद बेरोजगार हैं. क्युकी पंजाब में उद्योगों
का विकास ना मात्र हैं. और ना ही इस तरफ किसी भी तरह के प्रयास किये जा रहे हैं.
नये रोजगार का ना होना और वंशीय रोजगार से मुँह फेरे खड़ा आज का पंजाबी नोजवान अपनी
सामाजिक निराशा की चरणसीमा पर हैं.
अब ये समझाने की जरूरत नहीं हैं की निराशा और
हिंसा का आपस में क्या रिश्ता हैं. तो इस तरह के माहौल में, पंजाबी गायक अपनी पहचान बनाने के लिये कुछ इस तरह के गानों का चयन करते हैं और
लिखवाते हैं जिसमें शराब और हिंसा की भरमार हो, इस तरह के गानों को मशहूर
करने के लिये कुछ इसी तरह के इनके विडियो बनाये जाते हैं जहाँ एक आम सा दिखने वाला
किसान किस तरह हाथ में बंदूक उठा कर १०-२० लोगो को मार रहा होता हैं. इस तरह के
गानों और विडियो से आज पंजाबी गायकी भरमार हैं और जिन्हें विदेशों में भी और गैर
पंजाबी समाज में खूब सहारा जाता हैं. अब निराश हुआ समाज की निराशा में जी रहा
नोजवान इन्ही तरह के गीतों से प्रेरित होकर अपना झुकाव नशे की और तो कर ही रहा हैं
लेकिन हथियारों के खतरे से अनजान ये नोजवान पींडी अपने हाथों में बंदूक को एक तगमै
की तरह पेश करती हैं और इसे अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा का मापदंड समझ रही हैं. अगर इस
खबर पर नजर मारे तो सिर्फ पंजाब में कुल भारत के २०% लाइसेंस हथियार हैं. और कितने
गैरकानूनी हैं इनका हिसाब भी करना मुश्किल हैं. कुछ इसी तरह इस खबर में बताया गया
हैं की सिर्फ और सिर्फ पंजाब में सालाना प्रति व्यक्ति १२ शराब
की बोतलों की खपत हो रही हैं.
कुलविन्द्र कौर को जब गोली लगी तब पीछे की
स्क्रीन पर जो गाना चल रहा था उसके बोल थे “बोतल शराब दिये” और इसे गाया हैं पंजाबी के मशहूर गायक दिलजीत दोशांझ ने. और उसी दौरान ये
बंदूक से गोली चली जिसने कुलविंदर कौर की हत्या कर दी. संगीत भारतीय समाज का एक
अदभुत अंग हैं, ये हर गली और घर में, मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे में, इत्यादि जगहों पर गाया जाता हैं. इस पर किसी भी तरह से सेंसर
बोर्ड के अधीन करना नामुमकिन भी हैं और हमारी आजादी में कही ना कही ख़लल भी हैं.
शायद इसी के चलते आज पंजाबी सिंगर दिनों में ही मशहूर होना चाहते हैं और हिंसा को
प्रोत्साहित कर रहे हैं. लेकिन हमें खुद इस तरह के लच्चर गीतों को सुनने से मना
करना होगा. आज की इस घडी में ये ज़रुरी भी हैं अगर हम एक सुरक्षित समाज की रचना
करना चाहते हैं. जय हिंद.
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