हम बस लिफ्ट के भीतर जा ही रहे थे के बाहर आती बहन जी ने हमें कहा “भईया”,
सुन कर हमारे कान खड़े हो गये, हम तुम कह रहे हैं बहन जी और आप बस कहती हैं “भईया”,
बहन जी, थोड़ी तो तमीज़ से हमें सम्मानित कीजिये, कहिये “भईया जी”, “भाई जी”, नाकि बस “भईया”,
बस हम यहाँ कोई ज्ञान नही बाट रहे हैं, गुनगुना भी नही रहे हैं, बस इस मानसिकता पर कटाक्ष कर रहे हैं,
जो हर गरीब को, मजदूर को, नौकर को, लाचार को, भिखारी को, मरीज को, निराश को, बस कहती हैं “भईया”
वैसे भईया भी एक सम्मानित शब्द हैं, लेकिन पता नहीं सिर्फ भारत के गरीब नागरिक को ही क्यों पुकारा जाता हैं “भईया”,
हरबंश, इस तरह की मानसिकता को तब तक क़बूल ना करेगा जब तक आप बहन जी, कार में बैठे इंसान को ना कहेगी “भईया”,
अगर कहेगी, तो किसी को कोई आपत्ति नही हैं, फिर हम भी हैं भईया, इस तरह हम सम्मानित महसूस कर रहे हैं, हम हैं “भईया”,
#हवाबदलीसीहै #हरबंश #जनाब #harbans #YQbaba
अगर हमारी तरह थोड़ा से आप भी गुनगुना लेंगे,
यकीन मानिये, आपके अंदर जल रही अहंकार की दीपमाला को, बुझा देंगे,
समझ रहे हैं, बजा देंगे, #हवाबदलीसीहै #हरबंश #जनाब #harbans #YQbaba
सुन कर हमारे कान खड़े हो गये, हम तुम कह रहे हैं बहन जी और आप बस कहती हैं “भईया”,
बहन जी, थोड़ी तो तमीज़ से हमें सम्मानित कीजिये, कहिये “भईया जी”, “भाई जी”, नाकि बस “भईया”,
बस हम यहाँ कोई ज्ञान नही बाट रहे हैं, गुनगुना भी नही रहे हैं, बस इस मानसिकता पर कटाक्ष कर रहे हैं,
जो हर गरीब को, मजदूर को, नौकर को, लाचार को, भिखारी को, मरीज को, निराश को, बस कहती हैं “भईया”
वैसे भईया भी एक सम्मानित शब्द हैं, लेकिन पता नहीं सिर्फ भारत के गरीब नागरिक को ही क्यों पुकारा जाता हैं “भईया”,
हरबंश, इस तरह की मानसिकता को तब तक क़बूल ना करेगा जब तक आप बहन जी, कार में बैठे इंसान को ना कहेगी “भईया”,
अगर कहेगी, तो किसी को कोई आपत्ति नही हैं, फिर हम भी हैं भईया, इस तरह हम सम्मानित महसूस कर रहे हैं, हम हैं “भईया”,
#हवाबदलीसीहै #हरबंश #जनाब #harbans #YQbaba
अगर हमारी तरह थोड़ा से आप भी गुनगुना लेंगे,
यकीन मानिये, आपके अंदर जल रही अहंकार की दीपमाला को, बुझा देंगे,
समझ रहे हैं, बजा देंगे, #हवाबदलीसीहै #हरबंश #जनाब #harbans #YQbaba
Social Media is an illusion of Human Frustration.
Don’t be afraid.
Some one has made billions by decorating this fiction sweet world.
#हवा बदली सी है #हरबंश #जनाब #harbans
People at Social Media hide their presence but would like to see every thing. Its like a hide and seek game. What does this mean if we talk about their mentality ? They like to hear and see you but would not show their presence by click on Like Button.
Moral: Believe me you have some frustration. Better to leave this, Don’t curse some one, Appreciate your self and others as well. #हवा बदली सी है #हरबंश #जनाब #harbans
जिंदगी अस्पताल मे दम तोड़ रही थी,
बस कम्बख्त उंगलिया ऑनलाइन थी,
यहां बात इंसान की नही मानसिकता की हो रही थी,
हरबंश, रिश्ते नाकामयाब हो गये, लाश ऑनलाइन निकल रही थी.
सारांश: थोड़ी सी जिंदगी 1960 की भी जीनी चाहिये.
#हवाबदलीसीहै #हरबंश #जनाब #harbans #YQbaba
हमने कहा ऊपरवाले से, चाहे मार दे, अस्पताल में दाखिल कर दे,
हमने कभी कुछ कहा हैं, बस, जिंदगी तेरी थी तू चाहे तो वापस रख ले,
लेकिन गुस्ताखी, हरबंश की इतनी माफ़ कर देना,
सोशल मीडिया पर मेरा स्टेटस ऑनलाइन था, हैं, और ऑनलाइन ही दिखता रहे
सारांश: बस युही, गुन गुना रहे हैं, समझा रहे हैं, कुछ आज की मानसिकता पर कटाक्ष कर रहे हैं.
Moral: God, Either I may live or not, My Social Media Status must be online, keep always.
#हवाबदलीसीहै #हरबंश #जनाब #harbans #YQbaba
हमने कभी कुछ कहा हैं, बस, जिंदगी तेरी थी तू चाहे तो वापस रख ले,
लेकिन गुस्ताखी, हरबंश की इतनी माफ़ कर देना,
सोशल मीडिया पर मेरा स्टेटस ऑनलाइन था, हैं, और ऑनलाइन ही दिखता रहे
सारांश: बस युही, गुन गुना रहे हैं, समझा रहे हैं, कुछ आज की मानसिकता पर कटाक्ष कर रहे हैं.
Moral: God, Either I may live or not, My Social Media Status must be online, keep always.
#हवाबदलीसीहै #हरबंश #जनाब #harbans #YQbaba
सिटी बजाती हुई ट्रेन गुजर रही थी, १९४७ मॉडल के इंजन की आवाज लोड ले रही थी, लेकिन पीछे ऐसी डिब्बे में नेता गर्ण की चर्चा हो रही थी, भारतीय ट्रेन ५०० किलोमीटर की गति से क्यों ना दोड रही थी ? कुछ दिमाग लगाया गया, सोच इंजन को बदल रही थी. नया इंजन लगाया गया, हरबंश, अब ये छुक-छुक नही झु-झु बोल रही थी, बस दूर १०० किलोमीटर जाकर अभी, गति ३०० की हुई थी, पता चला ट्रेन पटड़ी से नीचे उत्तर कर दुर्घटना ग्रस्त हो गई थी.
सारांश: ट्रेन हमारा लोकतंत्र हैं, नेता मालिक हैं, इंजन व्यवस्था का हिस्सा हैं. अगर बदलना हैं तो इंजन के साथ-साथ पटड़ी और भी चीजों को बदलना होगा. व्यवस्था को बदलना हैं तो सब कुछ बदलना होगा, और शरुआत हमारे घर से होगी. #हवाबदलीसीहै. #हरबंश #जनाब #harbans #YQbaba
#हवाबदलीसीहै. #हरबंश #जनाब #harbans #YQbaba
नोटबंदी का ना पैमाना था, दुल्हा पहले ही कह रहा था, दहेज के बिना ही दुल्हन को लाना था, शर्त ये रखी गयी की, दहेज का नाम भी ना शादी में लेना था. शादी हो गयी, अब जब दुल्हन को विदा होना था, दुल्हन घर के दरवाजे से पीछे भाग कर गई, हरबंश, इससे सब को संदेह तो होना ही था, दुल्हन वापस आई पापा से उसे बस इतना ही कहना था. पापा, फोन तो लेकर जाऊगी, पेमेंट अब नकदी में नहीं, फ़ोन से जो करना था.
सारांश: समझ रहे हैं, भारत बदल रहा हैं, आप अभी वही बैंक की कतार में खड़े हैं. फ़ोन से पेमेंट कीजिये, जिओ जो फ्री नेट दे रहा हैं. बस उस गरीब को ये मजाक लगेगा, जिसका घर नकदी पर ही चलता हैं. #हवाबदलीसीहै. #हरबंश #जनाब #harbans #YQbaba
शाम होने को हैं, क्या सोच रहे हैं,
कदम मैह्खाने की तरफ हो रहे हैं,
सोचिये, घर पर बच्चे इंतजार कर रहे हैं,
अगर लड़ खड़ातै हुये गये, तो नजरों से गिर जायेगे,
संभल जाना, बचपन से ही, विद्रोह जन्म ले रहे हैं,
#हवाबदलीसीहै. #हरबंश #जनाब #harbans #YQbaba
सारांश: ट्रेन हमारा लोकतंत्र हैं, नेता मालिक हैं, इंजन व्यवस्था का हिस्सा हैं. अगर बदलना हैं तो इंजन के साथ-साथ पटड़ी और भी चीजों को बदलना होगा. व्यवस्था को बदलना हैं तो सब कुछ बदलना होगा, और शरुआत हमारे घर से होगी. #हवाबदलीसीहै. #हरबंश #जनाब #harbans #YQbaba
#हवाबदलीसीहै. #हरबंश #जनाब #harbans #YQbaba
नोटबंदी का ना पैमाना था, दुल्हा पहले ही कह रहा था, दहेज के बिना ही दुल्हन को लाना था, शर्त ये रखी गयी की, दहेज का नाम भी ना शादी में लेना था. शादी हो गयी, अब जब दुल्हन को विदा होना था, दुल्हन घर के दरवाजे से पीछे भाग कर गई, हरबंश, इससे सब को संदेह तो होना ही था, दुल्हन वापस आई पापा से उसे बस इतना ही कहना था. पापा, फोन तो लेकर जाऊगी, पेमेंट अब नकदी में नहीं, फ़ोन से जो करना था.
सारांश: समझ रहे हैं, भारत बदल रहा हैं, आप अभी वही बैंक की कतार में खड़े हैं. फ़ोन से पेमेंट कीजिये, जिओ जो फ्री नेट दे रहा हैं. बस उस गरीब को ये मजाक लगेगा, जिसका घर नकदी पर ही चलता हैं. #हवाबदलीसीहै. #हरबंश #जनाब #harbans #YQbaba
शाम होने को हैं, क्या सोच रहे हैं,
कदम मैह्खाने की तरफ हो रहे हैं,
सोचिये, घर पर बच्चे इंतजार कर रहे हैं,
अगर लड़ खड़ातै हुये गये, तो नजरों से गिर जायेगे,
संभल जाना, बचपन से ही, विद्रोह जन्म ले रहे हैं,
#हवाबदलीसीहै. #हरबंश #जनाब #harbans #YQbaba
हरबंश जी, आज अपने चेहरे पे छपवा रहे हैं, हम लुचे लफंगे हैं,
आज, हमारे घर में, बेटी पर बलात्कार, सिर्फ शरीफ तो करते हैं,
यहाँ, मामा, चाचा, ताया, फूफा, इत्यादि सब रिश्ते नंगे हैं,
आज, माँ अक्सर जवान बेटी से कहती हैं,
आदमी की नियत का पता नही, सबसे दूर रहना, ये बेटी में भी कामवासना देखते हैं,
सारांश: पाप मन करता हैं और अपराध शरीर, अगर मन के पाप की व्यथा कानून की पक्कड में होती तो शायद कोई रिश्ता महफूज ना होता. #हवाबदलीसीहै. #हरबंश #जनाब #harbans #YQbaba
सब धोखा हैं,
आँख जो देखे, नजरे जो सेके, क़ुदरत कहैं, दुनिया खेल तमाशा हैं,
सब धोखा हैं,
आंदोलन, सत्याग्रह, आजादी के इस दोर में, सब वोट का धंधा हैं,
सब धोखा हैं,
सीमा पर आज भी फौजी ही खड़ा हैं, बस देल्ही में देश बदल रहा हैं,
सब धोखा हैं,
मीडिया बट गई, राजनीति पार्टियों मे, कोई कहैं अच्छा, कोई कहैं सब गंदा हैं,
सब धोखा हैं,
हरबंश, तू क्यों इतना लिखता हैं, किसान मर रहा हैं, साहूकार का पेट मोटा हैं,
सब धोखा हैं,
सच का मुह काला, झूठ का बोल बाला हैं, बस इतना समझ लो, सब बिकता हैं,
इंग्लिश वाली गाली दो और फिर बोलो सब बिकता हैं, लोकतंत्र में सब बिकता है,
सब बिकता हैं, सब धोखा हैं, हां हां हां हां हां, सब धोखा हैं, सब धोखा हैं.
२०१४ में मोदी जी आ गये, लगा कुछ बदलेगा, लेकिन मुझसे देश, आज भक्ति का प्रमाण मांग रहा हैं ,
सब धोखा है ,
सिनेमा में, राष्ट्रगान चल रहा हैं, नागरिक सावधान खड़ा हैं, फिर क्यों बाहर सडक पर बच्चा भीख मांग रहा हैं ,
सब धोखा है ,
मंग्ल्यान, को माँ का दर्जा देने वालों, नजीब की माँ क्यों नही दिखती, देल्ही की सडक पर, एक आंदोलन चल रहा हैं ,
सब धोखा हैं ,
हरबंश तू क्यों लिखता हैं , भारत देश आजाद हैं , यहाँ ७० सालो से, चुनावो में, बस एक वजीर तो बदल रहा हैं ,
सब धोखा हैं ,
सच का मुँह काला, झूठ का बोल बाला हैं, बस इतना समझ लो, सब बिकता हैं ,
इंग्लिश वाली गाली दो और फिर बोलो सब बिकता हैं, लोकतंत्र में सब बिकता हैं ,
सब बिकता हैं, सब धोखा हैं, हां हां हां हां हां, सब धोखा हैं, सब धोखा हैं ,
इमारते और उच्ची हो रही हैं, ये आसमान को छू रही हैं, झोपडी, के गरीब का घाव, ना किसी ने देखा हैं ,
सब धोखा हैं ,
हमारे देश की सर्वोच्च पंचायत में, नेता करोडपति हैं, पेट भरा होता हैं, भूख का ना एहसास होता हैं, और गरीबी पर चर्चा करता हैं ,
सब धोखा हैं ,
हरबंश तू क्यों लिखता हैं , सडक पर, भीख मांग रहे भिखारी को देख, अक्सर, नेता गाडी का कांच बंद कर लेता हैं,
सब धोखा हैं ,
अगर किसी को व्यक्तिगत लगे तो हमें खेद हैं, शब्दों को वापस लेते हैं, नेता अक्सर पंचायत में यही तो कहता हैं,
सच कहा हैं, अगर बुरा लगे तो भी सुनना, अब किसी से उम्मीद ना करना, लोकतंत्र में आंदोलन घर से शुरू होता हैं,
खुद पहल करे, खुद को बदले, देश बदल जायेगा, लोकतंत्र में जब एक इंसान को पहचाना जायेगा,
इसी तरह हरबंश भारत को जमीन पर देखना चाहता हैं, तब तक वह यही कहता हैं, लोकतंत्र नही, सब धोखा हैं,
सब बिकता हैं, सब धोखा हैं, हां हां हां हां हां, सब धोखा हैं, सब धोखा हैं ,
सब धोखा हैं,
आँख जो देखे, नजरे जो सेके, क़ुदरत कहैं, दुनिया खेल तमाशा हैं,
सब धोखा हैं,
आंदोलन, सत्याग्रह, आजादी के इस दोर में, सब वोट का धंधा हैं,
सब धोखा हैं,
सीमा पर आज भी फौजी ही खड़ा हैं, बस देल्ही में देश बदल रहा हैं,
सब धोखा हैं,
मीडिया बट गई, राजनीति पार्टियों मे, कोई कहैं अच्छा, कोई कहैं सब गंदा हैं,
सब धोखा हैं,
हरबंश, तू क्यों इतना लिखता हैं, किसान मर रहा हैं, साहूकार का पेट मोटा हैं,
सब धोखा हैं,
सच का मुह काला, झूठ का बोल बाला हैं, बस इतना समझ लो, सब बिकता हैं,
इंग्लिश वाली गाली दो और फिर बोलो सब बिकता हैं, लोकतंत्र में सब बिकता है,
सब बिकता हैं, सब धोखा हैं, हां हां हां हां हां, सब धोखा हैं, सब धोखा हैं.
२०१४ में मोदी जी आ गये, लगा कुछ बदलेगा, लेकिन मुझसे देश, आज भक्ति का प्रमाण मांग रहा हैं ,
सब धोखा है ,
सिनेमा में, राष्ट्रगान चल रहा हैं, नागरिक सावधान खड़ा हैं, फिर क्यों बाहर सडक पर बच्चा भीख मांग रहा हैं ,
सब धोखा है ,
मंग्ल्यान, को माँ का दर्जा देने वालों, नजीब की माँ क्यों नही दिखती, देल्ही की सडक पर, एक आंदोलन चल रहा हैं ,
सब धोखा हैं ,
हरबंश तू क्यों लिखता हैं , भारत देश आजाद हैं , यहाँ ७० सालो से, चुनावो में, बस एक वजीर तो बदल रहा हैं ,
सब धोखा हैं ,
सच का मुँह काला, झूठ का बोल बाला हैं, बस इतना समझ लो, सब बिकता हैं ,
इंग्लिश वाली गाली दो और फिर बोलो सब बिकता हैं, लोकतंत्र में सब बिकता हैं ,
सब बिकता हैं, सब धोखा हैं, हां हां हां हां हां, सब धोखा हैं, सब धोखा हैं ,
इमारते और उच्ची हो रही हैं, ये आसमान को छू रही हैं, झोपडी, के गरीब का घाव, ना किसी ने देखा हैं ,
सब धोखा हैं ,
हमारे देश की सर्वोच्च पंचायत में, नेता करोडपति हैं, पेट भरा होता हैं, भूख का ना एहसास होता हैं, और गरीबी पर चर्चा करता हैं ,
सब धोखा हैं ,
हरबंश तू क्यों लिखता हैं , सडक पर, भीख मांग रहे भिखारी को देख, अक्सर, नेता गाडी का कांच बंद कर लेता हैं,
सब धोखा हैं ,
अगर किसी को व्यक्तिगत लगे तो हमें खेद हैं, शब्दों को वापस लेते हैं, नेता अक्सर पंचायत में यही तो कहता हैं,
सच कहा हैं, अगर बुरा लगे तो भी सुनना, अब किसी से उम्मीद ना करना, लोकतंत्र में आंदोलन घर से शुरू होता हैं,
खुद पहल करे, खुद को बदले, देश बदल जायेगा, लोकतंत्र में जब एक इंसान को पहचाना जायेगा,
इसी तरह हरबंश भारत को जमीन पर देखना चाहता हैं, तब तक वह यही कहता हैं, लोकतंत्र नही, सब धोखा हैं,
सब बिकता हैं, सब धोखा हैं, हां हां हां हां हां, सब धोखा हैं, सब धोखा हैं ,
दुखो की टोकरी, सर से उठाकर, फुटबॉल बनाकर, बस किक मारी ही थी, के सामने से आवाज आई,
बस रहने दे भाई,
ज़ुबान को साफ़ कर, शरीफो की गली को गाली दी ही थी, के सामने से आवाज आई,
बस रहने दे भाई,
अब नजरों में ना हरबंश के, किसी की बाकी शर्म रही थी, के सामने से आवाज आई,
बस रहने दे भाई,
दीवार से बॉल लग कर उसी गति से वापस आयी, न्यूटन, ने ये बात बताई थी, आज हस्ते हैं तो सब साथ हैं, जब रोते थे, तो बस थी तनहाई, के सामने से आवाज आई,
बस रहने दे भाई,
और कहैं, ना कहते हैं, अर सुनो तो सही, बस रहने दे भाई, के सामने से आवाज आई,
बस रहने दे भाई, #हवाबदलीसीहै #हरबंश #जनाब #harbans #YQbaba
बस रहने दे भाई,
ज़ुबान को साफ़ कर, शरीफो की गली को गाली दी ही थी, के सामने से आवाज आई,
बस रहने दे भाई,
अब नजरों में ना हरबंश के, किसी की बाकी शर्म रही थी, के सामने से आवाज आई,
बस रहने दे भाई,
दीवार से बॉल लग कर उसी गति से वापस आयी, न्यूटन, ने ये बात बताई थी, आज हस्ते हैं तो सब साथ हैं, जब रोते थे, तो बस थी तनहाई, के सामने से आवाज आई,
बस रहने दे भाई,
और कहैं, ना कहते हैं, अर सुनो तो सही, बस रहने दे भाई, के सामने से आवाज आई,
बस रहने दे भाई, #हवाबदलीसीहै #हरबंश #जनाब #harbans #YQbaba
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