पंजाब राज्य चुनाव के लगभग नतीजे आ चुके हैं
जहाँ पंजाब राज्य में कांग्रेस पार्टी को एक तरफा बहुमत मिला हैं जिसकी शायद ही
किसी ने कल्पना की होगी. वही इन नतीजो से बादल परिवार फर्श पर आ गया हैं, जिसका अंदाजा एक आम नागरिक को पहले से ही था लेकिन जो सबसे ज्यादा आश्चर्य जनक
था की आम आदमी पार्टी कुछ २०-२५ सीट तक ही सिमट कर रह गयी हैं जिसकी किसी ने
परिकल्पना भी नहीं की होगी, यहाँ ४-फ़रवरी राज्य चुनाव के बाद आम आदमी
पार्टी का मुख्यमंत्री कोन होगा, इसके क़यास लगाये जा रहे थे. यहाँ, विश्लेषण करने की जरूरत
हैं की क्या ऐसा हुआ जिसे पंजाब के नागरिक ने अस्वीकार कर दिया था.
यहाँ, आम आदमी पार्टी पर ध्यान
दे तो पंजाब में इसके तीन पहलू थे अरविंद केजरीवाल, भगवंत मान और बाकी के
कलाकार जो पंजाबी गायकी या और किसी तरह से पंजाब के लोगो से जुड़े हुये हैं और
तीसरा अहम पहलू,
पंजाबी विदेशी नागरिक जो बहुत ज्यादा तादाद में
चुनाव के समय पंजाब आये और आप पार्टी के चुनाव प्रचार का अभियान सँभाला. विदेशी
नागरिक, इसलिये भी ज्यादा मायने रखता था क्युकी इन्होने धन राशि के
नाते भी आप पार्टी को चंदा दान दिया होगा.
अरविंद केजरीवाल, जहाँ पंजाब में आप पार्टी
के प्रचार अभियान का चेहरा बने, यहाँ जहाँ भी इन्होने जन सभा को संबोधित किया, हर जगह अपनी दिल्ली सरकार की उपलब्धियों को ही गिना रहे थे, यहाँ इनका प्रहार अक्सर सत्ता धारी शिरोमणि अकाली दल बादल और बादल परिवार पर
ही रहा, जहाँ ये नशा, कानून व्यवस्था, इन सब के तहत बादल परिवार
की सरकार पर ही सवाल कर रहे थे, वही एक तरह से इन्होने पंजाब के अंदर पंजाब
राज्य कांग्रेस इकाई को अपने भाषण में ना मौजूद ही कर रखा था, शायद ये इस चुनाव में कांग्रेस राज्य इकाई के शीर्ष नेता श्री अमरिंदर सिंह का
कद नहीं समझ पाये. वही बादल परिवार और कांग्रेस के निशाने पर केजरीवाल ही थे, जहाँ इनको राज्य से बाहरी होने पर सवाल खड़ा किया गया साथ ही साथ ये दिल्ली के
मुख्यमंत्री होने के नाते पंजाब राज्य के पानी के हिस्से की किस तरह से पैरवी कर
सकेंगे, इस पर भी शंका जाहिर की गयी. वही, दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में जिस तरह केजरीवाल की कार्यशेली रही हैं जहाँ
अक्सर ये अपनी ना कामयाबी का कारण केंद्र सरकार को ही बताते रहे हैं, जो एक सवाल खड़ा कर रहा था की ये पंजाब राज्य की व्यवस्था किस तरह संभाल सकेंगे
या एक कुशल राज्य दे पायेगे, इस पर शायद एक आम नागरिक को शंका थी, शायद सबसे मजबूत कारण की पंजाब में डेरा राजनीति को ये पार्टी समझ नहीं पायी, मसलन जहाँ बादल और कांग्रेस राज्य इकाई इन डैरो के साथ जुड़ रही थी वही
केजरीवाल, इस राजनीति से परहेज करते रहे, अगर ये किसी भी डेरे से संवाद करते भी तो सिख मतदाता के इन्हें वोट डालने पर
सवाल खड़े हो जाते.
दूसरी और अगर ध्यान दे, तो भगवंत मान और गुरप्रीत सिंह घूगी, इत्यादि पंजाब गायकी या
किसी तरह से पंजाब लोक मंच से जुड़े हुये हैं कलाकार, जहाँ ग्लेमर इतना हैं और इसी के तहत इन कलाकारों को पंजाब का नागरिक सुनता भी
हैं और इसी तरह से इनके लच्चर गीत और व्यंग, चुटकुले पर सवाल भी करता
हैं की ये पंजाबी समाज को किस तरह बिखेर रहा हैं वही अपने लच्चर गीत, व्यंग, चुटकुले, इत्यादि द्वारा पंजाब का लोक मंच आज किस तरह
समाज में नशा और असुरक्षा को बढ़ावा दे रहे हैं. यहाँ, पिछले समय में भगवंत मान पर इल्जाम भी लगे की ये एक सार्वजनिक जगह पर गुरु
ग्रंथ साहिब की मौजूदगी में, शराब पीकर आये थे,
इस पर राजनीति भी हो सकती हैं लेकिन, भगवंत मान की एक कलाकार के रूप म छवि होने से यहाँ पंजाब के लोगो ने इस आरोप
पर बिना सवाल किये, मान को दोषी स्वीकार कर लिया था. वही ये २०१४
लोकसभा चुनाव के बाद, भगत सिंह की तरह पगड़ी बाँध कर दिखने लगे लेकिन
यहाँ ये सवाल था की चुनाव के बाद, भगत सिंह का रूप क्यों धारण किया गया है ? पहले क्यों नहीं, वही ये भी सवाल था की एक कलाकार के रूप और बाकी
कलाकारों या पत्रकारों का इनका १५-२० साल से ज्यादा का सफर पंजाब में रहा हैं इस
दौरान कभी भी वह जमीन पर पंजाब के हितो के लिये बात करते हुये नहीं दिखाई दिये. और
पुराने वक्त में ये कही-कही उन्हीं राजनीतिक लोगो के यहाँ अपना प्रोग्राम करते
हुये दिखाई देते थे जिन के खिलाफ आज ये प्रचार कर रहे हैं. अगर, बात कही जाये तो भगवंत मान और बाकी सभी पंजाब के कलाकार या पत्रकार जो आज
पंजाब आप पार्टी के राज्य चुनाव में चेहरे
बन रहे थे उनकी पिछली छवि, इनकी वर्तमान छवि पर भारी पड़ रही थी, शायद इसलिये ही इन सभी से इमानदारी की ज्यादा उम्मीद एक आम पंजाबी नागरिक नहीं
कर पा रहा था.
दूसरी तरफ, अगर ध्यान दे पंजाबी
विदेशी नागरिक की तरह तो ये अक्सर नवम्बर से फ़रवरी के बीच, इसी समय विदेशों में खासकर अमेरिका, कनाडा, इत्यादि जगह पर बर्फबारी के चलते आम काम-काज ठप होने पर, पंजाब आते हैं और इसी समय दौरान पंजाब के राज्य चुनाव, जहाँ ये पंजाब में आप पार्टी का प्रचार अभियान चला रहे थे वही एक आम नागरिक
इन्हें गम्भीरता से ना लेकर, अपनी मुश्किलों की तरफ ज्यादा ध्यान दे रहा था.
पंजाबी, विदेशी नागरिक के दो कारण रहे पहला, की यहाँ बहुताय जट समाज होने से गैर-जट समाज से ज्यादा संवाद नहीं बना सके, अगर गैर जट समाज से जुड़े भी होंगे तो वहां, इनकी वोट अपील
सुनी-अनसुनी कर दी गयी, वही दूसरा कारण की आज विदेशी पंजाबी, पंजाब आकर एक ऐश-आराम की जिंदगी ही बसर करता हैं कही भी व्यक्तिगत रूप से मैने
नहीं देखा की किसी भी तरह इन्होने पंजाब के समाज के लिये किसी तरह शिक्षा, रोजगार इत्यादि रूप से योगदान दिया हो, खासकर गरीब और पिछडे वर्ग
के लिये, अब जहाँ इनकी नैतिकता पर प्रश्न उठाना लाजिमी था, वही यहाँ इस राज्य चुनाव में पंजाबी नागरिक बिना किसी योगदान के अपनी अपील
मनवा सकता हैं, इस भ्रम में ज्यादा दिखाई दिये.
वही, पंजाब राज्य कांग्रेस का
प्रचार जहाँ शांतमयी और शालीनता के साथ किया गया, जहाँ समय-समय पर बादल और
केजरीवाल दोनों पर प्रहार किये गये, वही ये पंजाब के सिख और गैर सिख दोनों समुदाय
के साथ संवाद कायम करने में कामयाब रहे, वही ये गरीब और पिछडे
वर्ग के लिये भी दम भरते हुये दिखाई दिये, खासकर कैप्टेन अमरिंदर
सिंह, एक सिख-जट नेता, जिसने पंजाब के हर नागरिक
के बीच अपनी पहचान बनाई हुई हैं, उस के सामने आप और इनका सोशल मीडिया पर अति उग्र
प्रचार कही ना कही एक समान्य पंजाबी नागरिक ने गैर फ़रमान कर दिया और यही कारण थे
की आप के बेहद नजदीक पंजाब की सत्ता को कैप्टेन अमरिंदर सिंह और कांग्रेस ने बड़ी
सूझ बुझ से हथिया लिया. धन्यवाद.
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