२०११, से ही मोदी जी ने २०१४ लोकसभा चुनाव का प्रचार शुरू कर दिया था.



२०१२, में गुजरात राज्य विधानसभा के चुनाव भाजपा, सही अर्थ में मोदी जी जीत चुके थे और इनके शपथ ग्रहण समारोह, अहमदाबाद के सरदार पटेल स्टेडियम में हुआ, यहाँ व्यक्तिगत रूप से उस समय इस जगह से मात्र ५०० मीटर की दुरी पर मेरा कार्यालय था और इस समारोह में, पूरे गुजरात से भाजपा के कार्यकर्ता आये थे, ये भीड़ इतनी थी की पुलिस को बंदोबस्त के तहत स्टेडियम की और जाने वाले रास्ते पर वाहन की यातायात बंद करके, सिर्फ पैदल चलने की इजाजत दो जा रही थी इसी बीच बहुत से वाहन, हमारे यहाँ खुली सडक पर भी पार्क किये गये, जहाँ हर वाहन पर भाजपा की गुजरात राज्य की क्षेत्री इकाई का नाम लिखा हुआ था और इनमें गांव और कसबे भी शामिल थे, लेकिन मैं और जितने अहमदाबाद शहर के आम नागरिक थे जिनको मैं जानने का दम भरता हू, वह सभी अपने-अपने काम में व्यस्त थे और कोई भी इस सार्वजनिक समारोह में नहीं पहुँचा था.

इस समारोह मैं भाजपा केंद्र इकाई के कई गण मान नेता लालकृष्ण आडवाणी, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली और भाजपा के दूसरे प्रांत के मुख्यमंत्री के बीच, ऐन.डी.ऐ. के कई गैर भाजपा नेता गण भी मौजूद थे, लेकिन यहाँ उस समय की तमिलनाडू की मुख्यमंत्री सुश्री जयललिता और महाराष्ट्र नव निर्माण सेना के नेता श्री राज ठाकरे, की मौज़ूदगी सुर्खिया बटोर रही थी. वही कुछ नामी, उद्योगपति भी इस समारोह में शामिल हुये थे. इसी के साथ खबर यह भी थी, की बिहार के मुख्यमंत्री श्री नितीश कुमार इस शपथ समारोह में क्यों शामिल नहीं हुये थे. शपथ ग्रहण समारोह के बाद, भाजपा राज्य इकाई द्वारा कार्यकर्ताओं की जुटाई गयी समर्थको ने दिल्ली-दिल्ली के नारे लगाने शुरू कर दिये और मोदी जी ने भी अपने भाषण में व्यंग के रूप में कहा था की वह इस चुनाव के बाद दिल्ली हो आयेंगे.लेकिन, वह मौजूद सभी गण मान और आम नागरिक, ये समझ रहा था की मोदी जी के समर्थन में लगाये गये दिल्ली के नारे और इस पर मोदी जी द्वारा भरी गयी हामी, क्या संकेत दे रही हैं. क़यास उसी समय से लगाने शुरू हो गये थे की अब मोदी जी गुजरात को अलविदा कहकर दिल्ली का रुख, जल्दी ही करेंगे. और इस भाषण में गुजराती भाषा के शब्द कम थे और हिंदी के ज्यादा, शायद इसी के माध्यम से मोदी जी २०१४ लोकसभा चुनाव का प्रचार अभियान शुरू कर रहे थे.

लेकिन, २००९ लोकसभा चुनाव में भाजपा की हार और भाजपा केंद्र इकाई में कोई बड़ा नाम ग़ैरमौजूद होने से, मोदी जी यहाँ अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने में किसी भी तरह से पीछे नहीं रहते थे, इसका सबसे बड़ा हथियार था उस समय की केंद्र सरकार पर सार्वजनिक रूप से कटाक्ष करना और इसी सिलसिले में कांग्रेस पार्टी पर व्यंग करना, कुछ इसी तरह से २०१२ की एक प्रोग्राम में जहाँ उस समय के प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह के साथ बतौर गुजरात राज्य के मुख्यमंत्री के नाते श्री मोदी जी भी मौजूद थे, और यहाँ कड़े शब्दों में मोदी जी मनमोहन सिंह की कुपोषण नीति पर शब्दों का प्रहार कर रहे थे. इस समय, केंद्र सरकार घोटालो के साथ-साथ अन्ना जी के लोकबाल बिल आंदोलन के तहत भी सवालों के घेरे में थी और संविधानिक पद में अपने से ऊपर के पद पर विरजमान व्यक्ति की मौजूदगी में उस से कटाक्ष रूप से सवाल करके, मोदी जी अपने कद को बड़ा बना रहे थे. और राजनीति में यही, होता आया हैं की अपने से कद में ज्यादा ताक़तवर व्यक्ति पर प्रहार करके, अपनी मौजूदगी दर्ज करवाई जाये.

यही, सिलसिला आगे भी चलता रहा, १५-अगस्त-२०१२, गुजरात में भारत ध्वज आरोहण के समय मोदी जी द्वारा गुजरात राज्य के नाम दिये गये भाषण में भी राजनीति ही झलक रही थी. ध्वज आरोहण, के समय अमूमन संविधानिक पद पर विराजमान वरिष्ठ व्यक्ति, राजनीति करने से कुरेत करते हैं लेकिन, मोदी जी यहाँ ये लक्ष्मण रेखा भी लाँघ गये थे. यहाँ, भाषण में जहाँ मोदी जी अपनी राज्य सरकार के गुणगान किये जा रहे थे वही शब्दों के भीतर से, केंद्र सरकार में प्रधान मंत्री और उनकी नीतियों की आलोचना करने में भी पीछे नहीं हट रहे थे. और इस से थोड़ा समय पहले, साल २०११ सितम्बर में, अन्ना हजारे की तर्ज पर मोदी जी ने तीन दिन तक सद-भावना उपवास किया था, लेकिन, अन्ना के अशन की सादगी यहाँ मौजूद ना होकर मंच को एक भव्य समारोह की तर्ज पर सजाया गया था. इन्ही तीन दिनों के दरम्यान, भाजपा और अन.डी.ऐ. के गैर भाजपा, सारे नेता गन अपनी हाज़री यहाँ लगवा कर, इस तरफ इशारा कर गये थे की केंद्र की राजनीति में मोदी जी ऐन.डी.ऐ. का चेहरा बन सकते हैं. और इस पर किसी को भी कोई आपति नहीं हैं, यहाँ उपवास खत्म करने के समय दिये गये अपने भाषण में मोदी जी ने इस तरफ इशारा कर दिया था की राष्ट्र का स्वपना उनका भी स्वपना हैं, यहाँ इस भाषण में गुजरात राज्य से कम देश शब्द को ज्यादा महत्व दिया जा रहा था.

 २०१२, गुजरात राज्य चुनाव में मोदी जी ने ३डी तकनीक द्वारा भी लोगो को संबोधित किया था, जिसे बाद एक रिकॉर्ड के रूप में गिनेस बुक में भी दर्ज करवाया गया. वही गुजरात राज्य चुनाव २०१२ में, मोदी जी अपने प्रचार भाषण में अक्सर केंद्र सरकार, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और गांधी परिवार पर कटाक्ष करते हुये दिखाई देते थे. कही ये पाकिस्तान, अफजल गुरु, का नाम लेना भी नहीं भूलते थे वही, केंद्र सरकार में हो रहे भ्रष्टाचार और घोटालो का हवाला देकर केंद्र सरकार की हवा निकाल रहे थे. वही मोदी जी अपनी राज्य सरकार के गुणगान करते हुये नजर भी आये जहाँ ये कच्छ का हवाला देते थे की किस तरह इनकी सरकार ने २००१ भूकंप से तहस नहस इस प्रदेश को वापस जीवित और विकसित कर दिया हैं. 

और इसी सिलसिले को आगे बढते हुये, २०१३ की शरुआत में ही भाजपा की केंद्र इकाई से जोड़ लिया गया और ९-जून-२०१३ को, नरेंद्र भाई मोदी जी को २०१४ लोकसभा चुनाव के अंतर्गत, भाजपा की प्रचार समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया () और इसी के पश्चात सितम्बर २०१३ में, २०१४ लोकसभा चुनाव के अंतर्गत भाजपा की केंद्र इकाई ने नरेंद्र भाई मोदी जी को अपना प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया. 


यहाँ, मोदी जी ही प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार थे और चुनाव प्रचार पर भी इन्ही का नियंत्रण था.  इसी बीच २५-जून-२०१३ को दिये गये एक हस्ताक्षर में मोदी जी ने २००२ गुजरात दंगे के संदर्भ इन्हें दुःख हैं , इस सवाल के जवाब में कहा था की अगर, हम कार चला रहे हैं या और कोई गाडी को चला रहा हैं और हम पीछे बैठे हैं, फिर भी एक छोटा कुत्ते का बच्चा भी कार के नीचे आ जाता हैं, तो हमें पैन फील होता हैं की नहीं. होता हैं. अगर में मुख्यमंत्री हू या नहीं, में एक आम इंसान हू, अगर कही भी कुछ दुखद होता हैं तो दुःख तो लगेगा ही.यहाँ, शब्दों के कंसजे से मोदी जी किस पर और क्यों प्रहार कर रहे हैं, ये एक आम भारतीय समझ पा रहा था. और इसी तरह, मोदी जी ने २०१४ के चुनाव प्रचार की शुरुआत कर दी थी.

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