२०१२ गुजरात राज्य चुनाव तक मोदी जी एक प्रचार ब्रांड बन गये थे.


साल २००७, गुजरात राज्य चुनाव में भाजपा की जीत, मोदी जी के नाम से हुई थी, यहाँ मोदी जी गुजरात प्रदेश के चेहरा के साथ-साथ एक ब्रांड बनने भी जा रहे थे. लेकिन, इसके पहले सरकार के इस कार्य काल का विश्लेषण करे, एक नजर इनकी २००२-२००७ तक की कार्य गुजारी पर डाल नी होगी, यहाँ इस समय दौरान उन सभी राज्य विभागीय इकाइयों पर शिकंजा कसा जा रहा था जो आर्थिक रूप से मद हाल थी और इसके लिये कई उपाय सोचे जा रहे थे. हमारा परिवार, भी यहाँ आहात था, मेरा पिता जी गुजरात रोडवेज़ में ड्राइवर थे और इनके कार्य काल में इन्होने छोटी गाडी मसलन विभाग द्वारा अफसर को दी गयी कार गाडी को विभाग के ड्राइवर के रूप में ही चलाया था. यहाँ रोडवेज़ के बस ड्राइवर जो की रिटायर्ड हो रहे थे उनकी भर्ती को बंद करके कार के चालक को  बस चालक बनाने के आह्वान किये जा रहे थे, अब जिस ड्राइवर ने ता उम्र छोटी गाडी चलाई हो वह किस तरह अचानक से बस चला सकता हैं, यहाँ इसी माध्यम से बस की सवारी की जान का भी जोखिम बन रहा था, इसी बीच पिता जी ये तय कर चुके थे की वह जल्दी रिटायर्ड हों जायेगे लेकिन बस चलाने का खतरा नहीं मोल लेंगे.

यहाँ, ग़नीमत रही की ये फैसला टल गया और पिता जी कार के विभागीय ड्राइवर बने रहे लेकिन अब सरकारी भर्ती को कांट्रैक्ट भर्ती में तबदील कर दिया गया था. जहाँ कुछ समय के बाद इन्हें स्थायी करने का प्रावधान रखा गया था, ये चलन, हर विभाग में हो रहा था यहाँ तक की शिक्षा के अधीन आगनवाडी और सरकारी स्कूल में भी यही चलन चल रहा था. अगर, ग़ोर किया जाये तो आज अमूमन हर राज्य सरकार यही कर रहा हैं और इस के पीछे सरकार का तर्क राजस्व की कमी से होता हैं, लेकिन गुजरात में और भी प्रयोग किये जाने लगे मसलन रोडवेज़ का अहमदाबाद बस अड्डा, शहर के बीचो बीच होने से, इस तरह प्रावधान किया गया की सरकारी बस स्टैंड को भी पूरी तरह से नामोनित किया जाये की राजस्व में बढ़ावा हो, इसी तर्ज पर बड़ोदरा, सूरत, इत्यादि बस अड्डा को नये सिरे से बनाया गया, अब यहाँ साफ़ सफाई के साथ-साथ यात्रियों के लिये आराम दायक सुविधा दी जाने लगी, इसी तर्ज पर सरकार का हर सार्वजनिक विभाग नवीनीकरण हो रहा था और सरकारी कर्मचारियों को जवाब देह बनाया जा रहा था. व्यवस्था के रूप में मोदी सरकार चुस्त होने के साथ-साथ सार्वजनिक सरकारी काम काज को नयी दिशा देकर, एक आम नागरिक के साथ जुड़ रही थी.

इसी दौरान, शहर को नयी दिशा देने के अंतर्गत मार्ग व्यवहार को व्यापक रूप रेखा दी गयी, जिस के तहत सडक पर से अतिक्रमण हटाये गये जहाँ गरीब की ही झोपडी थी और सडक मार्ग को व्यापक रूप से बड़ा किया गया. इसी के तहत, उन कॉलोनी को भी नहीं बख्सा गया जहाँ सडक के मकान ने किसी भी तरह से ज्यादा जमीन नहीं रोक रखी थी. इसी तर्ज पर पर्यटक उधोग को गुजरात में प्रफुलित किया गया, अहमदाबाद का रिवर फ्रंट, वस्त्रापुर की लेक, काकरिया जूं, जामनगर का लखोटा तलाव, इत्यादि मसलन पूरे गुजरात और इसकी रूप रेखा में बदलाव के साथ-साथ नया रूप दिया जा रहा था, सरकार इस तरह के कार्य से एक आम जन मानुष से जुड़ रही थी.

साल २००२-२००९, में कई बार लाल्क्रष्ण आडवाणी का स्वागत मोदी जी ने गुजरात में किया था मसलन वस्त्रापुर के तलाव को सार्वजनिक करने के समय ये दोनों भाजपा के शीर्ष नेता गर्ण, तलाब के भीतर नौका पर सवार थे, यहाँ बिजली को भी घर-घर में पोहचाने का काम किया गया, इसी के तहत साल २००७-२०१२ में इन्ही कार्य को आगे बढ़ाया गया, मसलन बस रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम (बीआरटीएस) को सफलता पूर्वक अहमदाबाद में लागू करने के बाद, इसे गुजरात के अन्य शहर तक ले जाया गया, इसी के तहत पूरे गुजरात के मुख्य शहर में रसोई गैस को पाइप लाइन के तहत, घरों में दिया गया. नये उद्योग में मारुती, टाटा, फोर्ड, इत्यादि निमार्ण के यूनिट, गुजरात में लगने से रोजगार के अवसर भी पैदा हो रहे थे. सोलर ऐनर्जी, का उद्योग भी गुजरात में प्रफुलित हो रहा था.

लेकिन, अगर इस विकास की थोड़ी गहराई से पड़ताल करे तो यहाँ सरकारी काम काज, विभाग की जवाब देही, सरकार की सार्वजनिक जगह का नया रूप, सब ठीक था लेकिन कई ऐसे उद्योग भी थे जो गुजरात से हट कर दूसरे प्रांत में जा रहे थे मसलन फार्मास्यूटिकल कंपनियां, जिनका गुजरात गढ़ माना जाता था वह टैक्स की राहत के चलते हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और सिक्किम जैसे प्रांत में जा रही थी, जहाँ २००४-२०१४ तक सरकारी टैक्स के सिलसिले में गुजरात प्रदेश से यहाँ ज्यादा छुट मिल रही थी. व्यक्तिगत रूप से, इसी समय दौरान मेने कई ऐसे माल देखे थे  जो अब खस्ता हाल में थे, अगर यहाँ विकास और व्यवस्था की बात की जाये, तो यकीनन काम हुआ था. लेकिन इतना नहीं जितना सरकार मतलब मोदी जी व्याख्यान कर रहे थे.

अगर कुछ कार मैन्युफैक्चरिंग यूनिट को छोड़ दिया जाये, तो बाकी सभी उद्योग मोदी जी के आने के पहले से ही गुजरात प्रदेश में कार्यवंतिंत थे मसलन सूरत का हीरा व्यापार, वापी, अक्लेश्वर, कांडला, कलोल, जामनगर, राजकोट, अहमदाबाद, बड़ोदरा, आनद, नडियाद, इत्यादि जगह पर कारखाने और उद्योग काफी समय से मौजूद हैं. यहाँ, रोजगार के नये अवसर बहुत ज्यादा नही प्रफुलित हो सके, उतने तो कदाचित नहीं जितने मोदी जी अपने व्याख्यान में कहते थे . दूसरी और, अगर विदेशी निवेश की बात करे, तो गुजरात का नागरिक आज पूरे विश्व के कोने-कोने में हैं और सफल भी हैं, ये गुजराती विदेशी नागरिक भी एक कारण थे की उन्होने अपने प्रांत गुजरात में ही निवेश किया मसलन कंस्ट्रक्शन उद्योग. मसलन, नये रोजगार को खोजने की इतनी इमानदारी से कोशिश नहीं की गयी जितना की प्रचार किया गया था. यहाँ, ये प्रचार इतना मजबूत और ज्यादा था की समय-समय पर गुजरात के नागरिक से मोदी जी खुद को जोड़ रहे थे और इन्हे मानो सुर्खियों में रहने की आदत सी बन गयी थी. शायद, इसी प्रचार के कारण एक आम नागरिक का ध्यान सिर्फ और सिर्फ उन्ही सरकारी नीतियों पर जा रहा था जिसका व्याख्यान मोदी जी किया करते थे.

इसी बीच साल २००९, के लोकसभा चुनाव में भाजपा का चेहरा बने आडवाणी जी, ये चुनाव हार गये थे और इस हार से आडवाणी जी संसद में विपक्ष के नेता होने का मान भी खो चुके थे और इसी के तहत इनका गुजरात में आना भी कम हो गया था. भाजपा की केंद्र इकाई में कोई बड़ा नाम ना होने से, मोदी जी ने अभी से भारत देश के आम नागरिक से जुडने के प्रयास शुरू कर दिये थे.  इसी के तहत, गुजरात सरकार मतलब मोदी जी सोशल मीडिया पर अक्सर अपना और सरकार का प्रचार करते हुये नजर आ रहे थे. यहाँ, गुजरात के विकास की इतनी चमक थी, की एक गरीब प्रांत का नागरिक, इस से चकाचौंध हो जाता था. इसी दौरान, मोदी जी अक्सर भारतीय मीडिया में नजर आने लगे, यहाँ क़यास लगाने शुरू हो गये थे की मोदी जी की नजर अब दिल्ली की कुर्सी पर है.


लेकिन, सुरक्षा के माध्यम से साल २००७-२०१२ कोई अप्रिय घटना नहीं हुई और ना ही कोई सुर्खियों में छाया रहने वाला एनकाउंटर हुआ था और  ना ही सरकारी तंत्र पर किसी भी तरह से भ्रष्टाचार के आरोप लगे. इसी समय दौरान, केंद्र में अन्ना लोकपाल बिल और भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम का आगाज कर रहे थे, इसी के तहत २०१२ गुजरात राज्य चुनाव में मोदी जी अपने भाषण में गुजरात के विकास के साथ भ्रष्टाचार से मुक्त होने का दम भी भरते थे और सुरक्षा के आगाज पर अफजल गुरु का नाम लेना भी नहीं भूलते थे, यहाँ मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस की केंद्र सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप के तहत, २जी, इत्यादि घोटालो के आरोप लग रहे थे, जिस के कारण वह सिर्फ नाम पूर्ति अपनी पहचान, इस राज्य चुनाव में दर्ज करवा पायी थी.

चुनावी नतीजे आये जहाँ भाजपा ने अपनी बहुमत से ११६ विधानसभा सीट पर जीत दर्ज करवाई थी जो की २००७ राज्य चुनाव से १ सीट कम और २००२ के राज्य चुनाव से ११ सीट कम थी, यहाँ भाजपा को बहुमत तो मिल गया था लेकिन केंद्र में घोटालो का आरोप झेल रही कांग्रेस की एक तरह से गुजरात प्रचार में ना मौजूदगी होने से भी, मोदी जी २००७ राज्य चुनाव से कम ही सीट जीत पाये थे, शायद अब इनका जादू गुजरात में कम हो रहा था. लोग इन्हें अच्छा प्रवक्ता और व्यवस्था के रूप में देख रहे थे लेकिन उस विकास को इतना नहीं सराहा गया जिसका मोदी दम भरते थे. धन्यवाद.

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