अहमदाबाद, सरखेज-गांधीनगर हाई-वे पर और हाई कोर्ट के बगल
में, कारगिल नाम का पेट्रोल
पंप हैं, कहा ये जाता हैं की ये,
पेट्रोल पंप, एक सैनिक की कारगिल में शहादत के बाद, उनके परिवार को मिला था. व्यक्तिगत रूप से में
इनकी सर्विस से बहुत खुश हु और अक्सर यही से मोटर साइकिल में पेट्रोल भरवाना होता
है. कही भी, सर्विस में या पेट्रोल
भरने के पैमाने में, कोई गड़बड़ी नहीं हैं,
मुझे यहाँ पूरी इमानदारी का एहसास होता हैं.
लेकिन, एक बात खास लगी जिसने
मुझे यहाँ लिखने पर मजबूर कर दिया, उरी हमले के बाद से,
इसमें हुये शहीद जवानों की यहाँ तस्वीर बदस्तूर
लगा कर रखी हैं. इसे खुले में इस तरह रखा गया हैं, की आते-जाते हर कोई ग्राहक की इन शहीदों पर नजर पड़ जाये,
मसलन खुले मैदान में और दीवार के साथ.
पहले-पहले तो मुझे, ये जज्बा देश भक्ति से
प्रेरित लगता था लेकिन समय रहते, ये तस्वीर बड़ी ही दयनीय
सथ्ती से होकर गुजर रही हैं, मसलन यहाँ तस्वीरों का
कागज़ कई जगह से फट गया हैं और नीचे, स्टैंड पर तस्वीर मुड़ गयी हैं, में अक्सर २-३ दिन के अंतराल के बाद यहाँ जाता रहता हु, कही भी मुझे, इस तस्वीर की हालात में सुधार होता हुआ नजर नहीं आ रहा.
पिछले साल २०१६, सितम्बर महीने के अंत में जम्मू कश्मीर के
बारामुला सेक्टर के अधीन कुछ फिदाइन आंतकवादियों ने उरी सेक्टर पर हमला कर दिया जिस के तहत, १७ जवान मारे गये और २० से ज्यादा जवान घायल हुये. इसी के तहत, मीडिया में इस हमले को,
भारत देश पर हुये हमले की तर्ज पर दिखाना शुरू
कर दिया, इसी के फलस्वरूप कुछ
दिनों बाद, भारत द्वारा पाकिस्तान की
सर जमीन पर सर्जिकल स्ट्राइक करने का दावा भी पेश किया गया,
अक्सर इस तरह की सर्जिकल स्ट्राइक के बाद दोनों
देश अलग-अलग बयान देते हैं, मसलन पाकिस्तान किसी भी
तरह की सर्जिकल स्ट्राइक से मना कर रहा था और भारत अपने बयान पर अडिग था. इसी बीच,
भारतीय मीडिया के कई न्यूज चैनलों ने, ग्राफिक्स प्रजैंटेशन बनाकर दर्शकों को पूरी
तरह ये बताने की निरंतर कोशिश की, किस तरह भारत ने सर्जिकल
स्ट्राइक का ऑपरेशन किया था.
उरी अटैक और सर्जिकल
स्ट्राइक के पश्चात, टीवी न्यूज चैनलों की
टीआरपी में काफी उछाल आ गया था और इसी के चलते हमारे देश के प्रधानमंत्री
श्री नरेन्द्र भाई मोदी जी की लोकप्रियता में भी बहुत उछाल आ गया था इसी बीच, कुछ न्यूज चैनल्स ने राज ठाकरे के उस बयान को पुरा जोर
तवाजो दी जिसमें पाकिस्तान कलाकारों को तुरंत भारत छोड़कर चले जाने का फ़रमान जारी
कर दिया गया, यहाँ तक कहा गया की कोई
भी भारतीय फिल्म निर्माता किसी भी तरह से किसी भी पाकिस्तानी कलाकारों को अपनीफिल्म में शामिल ना करे. इस मुद्दे पर फिर मीडिया ने चर्चा शुरू कर दी और निशाने पर
करन जोहर की फिल्म ऐ दिल हैं मुश्किल थी
जहाँ एक किरदार के रूप में पाकिस्तानी कलाकार फवाद खान काम कर रहे थे और
इसी दिवाली पर अजय देवगन की शिवाय फिल्म भी ऐ दिल हैं मुश्किल के साथ रिलीज़ हो रही
थी. उरी, हमले से पहले ही, ये दोनों फिल्म अपने प्रमोशन पर काम शुरू कर
दिया था और इसी बीच दोनों फिल्म प्रोडक्शन हाउस ने एक दूसरे पर छीटा कसी भी शुरू
कर दी थी लेकिन, पाकिस्तान कलाकारों पर ऐसी चर्चा छिड़ी, की पूरा भारत सोशल मीडिया पर इस पर अपनी राय
रखने लगा लेकिन इसी बीच एक जगह टीवी प्रोग्राम पर ऐक्टर ओम पूरी, एक विवादित बयान देकर, मीडिया के निशाने पर आ गये और इन पर ऍफ़ आई आर भी रजिस्टर हो
गयी.
खैर, आज २०१६ की दिवाली पर ये दोनों फिल्म एक साथ
रिलीज़ हुई और दोनों ने अच्छा व्यवसाय किया, टीवी न्यूज़ चैनल्स ने अपनी टीआरपी बड़ा थी, वह भी दिवाली के दिनों में, जहाँ एडवरटाइजिंग ज्यादा मिलती हैं, व्यापर की दृष्टि से सभी खुश थे इसी बीच कुछ
दिनों पहले ऐक्टर ओम पूरी जी का दिल के दौरा पड़ने से देहांत हो गया. यहाँ,
भी कारगिल पेट्रोल पंप पर, ये तस्वीर तब से बदस्तूर जारी हैं, इसी के बाद यहाँ एक दिन पोस्टर लगा दिखाई दिया,
जहाँ कोई भी ग्राहक ५ लीटर पेट्रोल के नापने के बर्तन में पेट्रोल भरवा के, मशीन की जांच कर सकता हैं, शायद ही किसी ग्राहक ने, इस अभियान को अपनाया होगा. जहाँ, उरी के शहीदों की तस्वीर लगी हो वहां किसी तरह कोई शक कर
सकता हैं. लेकिन, इस तस्वीर को खुले आसमान
में, २४ घंटे, इस तरह रखना की यहाँ पेट्रोल भरवाने वाले हर कस्टमर
की यहाँ नजर पड़ जाये. मुझे, अब ये व्यक्तिगत रूप से
यहाँ, कुछ खटक रहा हैं, ये तस्वीर अब देशभक्ति से ज्यादा, शायद व्यवसाय का कारण बन गयी हैं, इस तस्वीर की हालात दयनीय हैं और जगह-जगह से फट
भी गयी हैं. अच्छा होता, अगर इसे एक साफ़ सुनहरे
कांच के फ्रेम में व्यवस्थित रख कर, कुछ उँचाई पर रखा जाता, जहाँ इन शहीदों की
कुर्बानी से सर ऊँचा भी होता और शहीदों की तस्वीर जमीन पर भी धुल और गाडियों का
धुँआ ना देखती.
आज, सेना का सिपाही, फेस बुक पर विडियो अप लोड कर के खाने की क्वालिटी पर सवाल
उठा रहा हैं, कही ये अफसरों के कठोर
रवीये पर सवाल कर रहा हैं, जहाँ, उस से निजी कुत्ते को घुमाने के लिये भी कहा
जाता हैं. लेकिन, इस तरह के विडिओ को हमारा
राष्ट्रीय न्यूज़ चैनल नहीं दिखाते, ना ही यहाँ जवानो को हो
रही असुविधा को बयान किया जाता हैं, मेरा सवाल हैं, क्या सिपाही शहीद हो कर
ही किसी खबर का हिस्सा बन सकता हैं ? वह भी, परोक्ष या अपरोक्ष रूप से,
किसी ना किसी व्यवसाय की एडवरटाइजिंग के रूप
में. मैने, व्यक्तिगत रूप से कारगिल
पेट्रोल पंप के कर्मचारियों को दी जा रही किसी सुविधा को नहीं देखा और ना ही किसी
प्रकार से इनके लिये, किसी और प्रकार से हो रहे
प्रयास के बारे में जानने को मिला. लेकिन, शहीदों की तस्वीर यहाँ मौजूद हैं, शायद ये शहीद तो अपना कर्तव्य इस देश को बेहतर बनाने में निभा गये लेकिन हमने
इनकी शहादत के सामने इमानदारी से ना तो सर झुकाया हैं और ना ही,इनकी शहीदी को समझकर,किसी तरह समाज के भलाई में कोई योगदान दिया हैं. व्यक्तिगत
रूप से, मुझे इस तस्वीर के रूप
में कही ना कही, शहीदों का अपमान होता हुआ
ही नजर आ रहा हैं और इस तरह शहीदों की तस्वीर लगाकर हम अपने सामाजिक कर्तव्य और
दायित्व से भाग नहीं सकते. धन्यवाद.
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