गुजरात राज्य, यहाँ शेर के लिये गीर अभयारण्य हैं और वही गधे की तरह दिखने वाले घुड़खर के लिये, घुड़खर अभयारण्य. गुजरात राज्य की इस समानित धरती पर सभी के लिये एक सम्मान अधिकार हैं.



उत्तर प्रदेश राज्य चुनाव के दौरान, राजनीतिक बयान बाजी में तल्ख़ बढ़ती जा रही हैं, यहाँ कुछ दिन पहले जहाँ श्री नरेंद्र भाई मोदी जी ने उत्तर प्रदेश की राज्य सरकार पर आरोप लगाया की ये रमज़ान के महीने में २४ घंटे बिजली देते हैं लेकिन इसी तर्ज पर दिवाली के त्यौहार में भी बिजली दी जानी चाहिये. वही अखिलेश यादव, ने उत्तर प्रदेश के चुनाव में गुजरात राज्य का नाम लेकर मोदी जी पर प्रहार करने की कोशिश की हैं. यहाँ एक सभा में अखिलेश यादव ने कहा एक गधे का विज्ञापन आता हैं, में इस सदी के सबसे बड़े महानायक से कहूंगा के अब आप गुजरात के गधों का प्रचार मत करिए”. यहाँ, गुजरात राज्य के गधो का जिक्र अखिलेश यादव किस संदर्भ में कर रहे हैं ये हम सब समझ सकते हैं, लेकिन यादव जी इस पूरे बयान को पढ़ कर सुना रहे हैं, अब सवाल ये खड़ा होता हैं की ये भाषण किस ने लिखकर दिया ? समाजवादी पार्टी का किसी भी तरह से गुजरात में कोई वोट बैंक नहीं हैं, तो ये इस तरह की बयान बाजी कर सकते हैं लेकिन उत्तर प्रदेश में इनकी सहयोगी पार्टी कांग्रेस की अच्छी खासी पकड़ गुजरात में हैं. यहाँ, ये लग रहा हैं की अखिलेश यादव, कांग्रेस का लिखा हुआ भाषण पढ़ के सुना रहे हैं. जो भी,हो एक गुजरात राज्य के नागरिक होने के नाते, मुझे इस तरह की बयान बाजी से जज्बाती ठेस भी पहुँची हैं और बड़ी इमानदारी से में अखिलेश यादव को उन गधा के बारे में ज़रुर बताना पसंद करूंगा जिन का प्रचार सदी के महानायक भी करते हैं.

सबसे, पहले गधा, मुझे नहीं पता इस प्राणी को इतना हास्यजनक क्यों माना जाता हैं ? मैने, कई बार आते जाते, कई प्रदेश में देखा हैं, की गधे की पीठ पर अक्सर कुछ समान लदा होता हैं और इसका मालिक, हाथ में डंडा लेकर, इसको हांक रहा होता हैं, और बदले में इसे आहार के रूप में इसे हरी घास मिलती हैं. अब, इसे, इसका मालिक भर पेट हरी घास देता हैं या नहीं, इसका अंदाजा आप लगा सकते हैं. कुछ, इसी तर्ज पर, मेंने व्यक्तिगत रूप से कंपनी के मालिक या किसी ऊंचे पद पर विराजमान सदस्य को अपने कर्मचारी के संदर्भ में अक्सर  गधा कहते हुये सुना हैं. मतलब, समाज में गधे, की पहचान एक कमजोर और लाचार मजदूर या कामगार की ही हैं, जो थोड़ा सा खाकर या इस मेहनताना के बदले सारा दिन अपने मालिक का दिया हुआ वजन उठाता हैं और आना कानी करने, पर मालिक का डंडा इसे इनाम में मिलता हैं. नतीजन, हमारे समाज में आज गधे की रुपरेखा एक निर्बल, कमजोर, शाकाहारी, प्राणी की हैं. शायद, इसी संदर्भ में ये हास्यजनक हैं. लेकिन, क़ुदरत ने ऐसे बहुत से प्राणी बनाये हैं जो समय आने पर अपने ही बच्चो को मार देते हैं, उन पर किसी भी तरह का व्यंग नहीं होता लेकिन मेहनती गधा अपने बच्चो को पूरी इमानदारी से पालता हैं.

अब, यहाँ उन गधो का जिक्र करना जरूरी हैं जिनका प्रचार सदी के महानायक करते हैं और इन्ही गधो के संदर्भ में, अखिलेश यादव ने ये हास्यजनक बयान दिया हैं. लेकिन, अगर यहां बयान देने से पहले इन गधो के बारे में थोड़ा सा भी गूगल करते तो इस तरह की बयान बाजी कभी नहीं कर पाते. यहाँ, गुजरात, के कच्छ जिले में, घुड़खर अभयारण्य (Indian Wild Ass Sanctuary) हैं, जहाँ जंगली गधे की तरह दिखने वाली प्रजाति पायी जाती हैं, यहाँ इन्हें घुड़खर के नाम से जाना जाता हैं और ये दक्षिणी एशिया के लिये ओनागेर की उप-प्रजाति हैं. अमूमन, घुड़खर उच्चाई में १.२ मीटर (१२० सेंटीमीटर) होती  हैं और वही लंबाई में २.४ मीटर (२४० सेंटीमीटर) होती हैं. इसका औसतन वजन २१० किलोग्राम हैं. ये, कुछ ६०-७० किलोमीटर प्रति घंटे के हिसाब से भाग सकते हैं. यहाँ, कच्छ के रेगिस्तान में ये ४८ डिग्री सेलेसिस तक के तापमान में रह सकते हैं और पानी की कमी होने पर भी ये खुद को जीवित रखने में सक्षम हैं. ये, आम तोर पर १०-२० के झुंड में रहते हैं. ये पूर्णतः शाकाहारी हैं और इनका आहार हरी घास या इसी तरह का कोई और चारा हैं. आज ये दुर्लभ प्रजातियों में इनका समावेश होता हैं लेकिन यहाँ इनकी आबादी अब लगातार बढ़  रही हैं. और अमूमन इनका जीवन कुछ २०-२५ साल का होता है. 

घुड़खर, इनकी  प्रजाति और शरीर की बनावट गधो की प्रजाति से अलग हैं. लेकिन, इनकी प्रजाति घोडा, ज़ेबरा और गधा, के परिवार में से ही है. और इसी के चलते, अक्सर इनकी पहचान गधा के रूप में ही कर दी जाती हैं. परंतु, अगर इनकी पहचान गधे के रूप में भी होती हैं तो इसमें हास्यास्पद क्या हैं ? इसी संदर्भ में, गुजरात राज्य की प्रंशसा करनी चाहिये, की यहाँ जुनागड़ के पास गीर अभयारण्य हैं जहाँ शेरो की प्रजाति प्रफुलित हो रही हैं और वही इसी गुजरात राज्य में गधा की तरह दिखने वाले घुड़खर अभयारण्य भी हैं जहाँ घुड़खर प्रजाति की संरक्षण किया जाता हैं. इसी तरह अहमदाबाद के पास थोल पक्षी अभयारण्य हैं जहाँ कई तरह के पक्षियों की संरक्षण किया जाता हैं, इसी तरह पूरे राज्य में कई तरह के प्राणी, जीव, पक्षी, इत्यादि अभयारण्य हैं.


राजनीति, में अक्सर व्यक्तिगत या अति व्यक्तिगत प्रहार होते रहते हैं लेकिन जिस तरह से अखिलेश यादव ने गुजरात राज्य के गधो को लेकर हास्यास्पद बयान दिया हैं, इसकी गंभीर शब्दों में आलोचना होनी चाहिये.और दूसरी तरफ उन्हें एक मुख्यमंत्री होने के नाते गुजरात से सीखना भी चाहिये की यहाँ किस तरह सबका एक समान अधिकार और सम्मान हैं, वही ये गधे की तरह दिखने वाले घुड़खर को संरक्षण भी देते हैं वही सदी के महानायक से इसका प्रचार भी इस तरह करवाते हैं की लोगो में कच्छ रन और घुड़खर के लिये जिज्ञासा पैदा की जा सके, यहाँ पर्यटक व्यवसाय को प्रफुलित किया जा सके ताकि यहाँ के लोगो के लिये नये रोजगार के अवसर भी पैदा किये जा सके और वही घुड़खर अभयारण्य आय के मामले में स्वावलंबी बन सके, ताकि इसका और ज्यादा विकास और संरक्षण हो सके. व्यक्तिगत रूप से, में एक गुजराती नागरिक होने के नाते श्री अखिलेश यादव को ज़रुर कहूंगा कुछ दिन तो गुजारो गुजरात में.धन्यवाद.

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